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सामाजिक समरसता के लिए जरूरी है खो गई गुरु घसीदास विश्वविद्यालय को ढूंढना ...... टाकेश्वर पाटले

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बिलासपुर, 13 मई 2025।
छत्तीसगढ़ के आध्यात्मिक गुरु संत गुरु घासीदास जिन्होंने मनखे-मनखे एक का सूत्र वाक्य दिया। तो उनके मनखे-मनखे में समाज के हर जाति वर्ग का व्यक्ति शामिल था। और अभी बिलासपुर स्थित गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के मनखो में कुछ मनखे गिरा दिए गए और यह काम वहां के नीति नियंताओं ने जानबूझकर किया। इतना ही नहीं यदि कोई गिरा दिए गए मनखो को जोड़ने का काम करता है उसके विरुद्ध एक पूरी मुहिम चलाई जाती हैं । ये बात मिनीमाता समिति के संरक्षक टाकेश्वर पाटले ने कही।
पूरा मामला विश्वविद्यालय में एक संप्रदाय विशेष के खिलाफ हो रहे अन्याय का है। टाकेश्वर पाटले ने कहा कि जब गुरु के ने संदेश दिया उसे समय भी समाज में वे सब धर्म थे जो अभी हैं और जब गुरु ने मनखे-मनखे एक कहा तो उसे माला में सब शामिल थे। उन्होंने पूछा कि राष्ट्रीय सेवा योजना का मूल उद्देश्य क्या है ...? यदि कैंप में बुद्धम शरणम् गच्छामि का मंत्र कहा गया होता आत्म दीपों भाव: को समझने के लिए विपस्ना रीति ध्यान लगाया होता तब भी क्या विश्वविद्यालय में यही हालात होते जो अभी बनाए गए। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री स्व. अर्जुन सिंह ने जिस पवित्र उद्देश्य के साथ इस विश्वविद्यालय की स्थापना की थी वह गुमा दिया गया है। और उसे दोबारा ढूंढना बेहद जरूरी है। वैसे भी हम इन दिनों शिक्षा बोर्ड अर्थात पहली कक्षा से लेकर विश्वविद्यालय तक जिस तरह एक सोच विशेष को पाल-पोस और पल्लवित-पुष्पित किया जा रहा है के बीच में से सामाजिक समरसता वाली सोच को ढूंढना और पुनः स्थापित करना बेहद जरूरी है।