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आय से अधिक संपत्ति का बड़ा मामला

जिसमें किया गुमराह, उसी ने पाया खज़ाना

24hnbc.com
बिलासपुर, 9 मई 2025। 
नजूल सीट नंबर 4 के दो प्लाट 85/1,65/1 इस कुल संपत्ति का वर्तमान बाजार मुल्य 50 करोड़ से अधिक का है। इन संपत्तियों के विवाद में इन दिनों 3 पक्षकार कृष्ण कुमार अग्रवाल, सुबोध मार्टिन (यूसीएमएस) और अनुराग नथानिएल (आईसीसीडीसी) के बीच आम सूचना प्रकाशन का खेल चल रहा है। पहली आम सूचना 3 मई को कृष्ण कुमार अग्रवाल की ओर से, इसका खंडन सुबोध मार्टिन की ओर से आया और अब दूसरा खंडन आईसीसीडीसी से सचिव की ओर से प्रकाशित हुआ। इन तीनों सूचनाओं को पढ़ने के साथ या स्पष्ट होता है कि मूल विवाद 1971 से शुरु हुआ जब ईसाई संस्था यूसीएमएस के पदाधिकारियों ने अपने भूखंड बनवारी लाल अग्रवाल को बेचे और यह पूरा क्रय-विक्रय विवादित हो गया। और मामला सिविल कोर्ट बिलासपुर से शुरु होकर उस समय के उच्च न्यायालय जबलपुर से उच्चतम न्यायालय तक पहुंचा। इस मामले का पटापेक्क्ष वर्ष 2018 में उभय पक्षों के बीच समझौते के रुप में हुआ। उच्च न्यायालय में समझौता स्वरूप जिस धनराशि का अंतरण डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से हुआ है। वह धनराशि ही अपने आप में संदिग्ध है। केवल 1000000 रुपए। आईसीसीडीसी की आम सूचना का तीसरा पेराग्राफ की तीसरी लाइन माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर के प्रथम सिविल अपील 86/1980 पक्षकार पादरी भागीरथी वगैरा विरुद्ध बनवारी लाल अग्रवाल ने ने दिनांक 4 मई 1989 को छुपा कर न्यायालीन एवं प्रशासनिक कार्यवाही की जा रही है। आम सूचना प्रकाशन कर्ता का कहना है कि उसे गुमराह कर न्यायालय में राजीनामा निष्पादित कराया गया और राजीनामा में अनुराग नाथानियल सचिव आईसीसीडीसी के हस्ताक्षर हैं। 
हम प्रथम समाचार से ही इस पूरे मामले में तथ्यों को छुपाकर न्यायालय को गुमराह कर डिकरी और बाद में रिकार्ड दुरुस्तीकरण की बात कहते हैं आम सूचना से अब यह स्पष्ट है कि सीट नंबर 4 के विवाद क्षेत्र 34000 स्क्वायर फीट पर एस्ले बांग्ला था जिसका कब्जा एन आर बर्डे नाम के पास्टर के पास था। और कई न्यायालय से विवाद जीतने के बावजूद अचानक समझौते होने से लगता है कि कब्जा जा छोड़ने के बज में कोई बड़ी धनराशि का लेन-देन हुआ। सभी तो आईसीसीडीसी के सचिव का कथन मुझे गुमराह किया गया तो गुमराह किसने किया। कब्जा छोड़ने के उपरांत कब्जाधारी के अचल संपत्ति में अचानक बढ़ोतरी हुई। रायपुर रोड की आशीर्वाद वैली में एक आलीशान बंगला उस समय का बाजार मूल्य लगभग एक करोड और एक भव्य चर्च एक साधारण पास्टर के यह दो कृत आय से अधिक संपत्ति का मामला बनाते हैं। 
कुल कथा सीट नंबर 4, प्लाट नंबर 85/1, 47, 48 की कहानी में बिलासपुर के बड़े भू माफिया लगे हैं। इस संपत्तियों का विवाद न्यायालय में ले जाना और उसे लड़ना बेहद सस्ता है। कारण इस भूखंड व्याप्तवर्तन नहीं हुआ है। अतः न्यायालीन फिस बेहद कम होती है। अभी इस संपति का विवाद संस्था और व्यक्ति के बीच होना प्रारंभ हो रहा है। मध्य प्रदेश कुछ न्यायालय के जस्टिस गुलाब गुप्ता के एक निर्णय के फलस्वरुप यह पूरी संपत्ति आईसीसीडीसी के अधीन आती है और क्रेता बनवारी लाल अग्रवाल और उसके वंशज अभी तक यूसीएमएस से लड़ते रहे। 
 
65/1 के तथ्यों के संदर्भ में आज सामग्री किस कारण प्रकाशित नहीं की जा सकी क्योंकि आम सूचना क्रमांक 3 पहले आ गया।