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1 मई श्रमिक दिवस के दिन सम्राट अशोक को याद करना जरूरी

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बिलासपुर, 1 मई 2025।
देवान प्रिय अशोक इस राजा को हम सब सम्राट अशोक के नाम से बेहतर जानते हैं ये वो राजा थे जिनके शासन में भारत को एक देश के रूप में एकीकरण का लाभ मिल। कुशल प्रशासनिक ढांचा मिला उन्होंने अपने जीवन में 9 युद्ध किये। किसी भी युद्ध में हार नहीं हुई 9 र्वे युद्ध जिसे कलिंगा के नाम से जानते हैं के बाद सम्राट अशोक को समझ आ गया कि विजय के स्थान पर धम्म विजय बेहतर है ‌। इसी से प्रेम, सही सहीश्रुनता , सत्य, अहिंसा, धार्मिक संप्रदायों का द्वेष भाव समाप्त होता है। उन्होंने बौद्ध धर्म को अपना लिया और उसके बाद श्रीलंका, अफगानिस्तान, पश्चिम एशिया, मिश्र, यूनान, सीरिया, थाईलैंड, भूटान, म्यांमार सहित कई स्थानों पर बौद्ध धर्म का प्रचार किया। और इसके प्रतीक अभी भी देखें जा सकते हैं। इतिहास बताता है उनके शासनकाल में 23 विश्वविद्यालयों की स्थापना हुई, तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला, कंधार में विश्वविद्यालय बने थाईलैंड में चार मुख वाला शिलाखंड आज भी है। 
हम आज 1 मई को इस सबका उल्लेख क्यों कर रहे है। असल में भारत को इस समय बुद्ध के दर्शन से ना केवल प्रेरणा लेना चाहिए बल्कि उसे पर चलते भी दिखाना चाहिए। छत्तीसगढ़ से ही एक उदाहरण लिया जाए बेमेतरा जिला में गिधवा जलाशय ने गर्मी के ऋतु में हजारों की संख्या में देसी-विदेशी पक्षी डेरा डालते हैं। और अपना वंश वृद्धि कर वापस जाते हैं। 31 जनवरी 2021 को प्रदेश शासन में इस स्थान के संरक्षण के लिए प्रस्ताव केंद्र को भेजा। इस साल यहां जलाशय में पीने का पानी भी नहीं है यदि प्रस्ताव जंगल काटने के संदर्भ में होता तो कब की अनुमति मिल जाती, हसदेव अरण्य इसका सटीक उदाहरण है। हमारे मानवीय संवेदना लगातार नीचे जा रही है हमारा दृष्टिकोण लगातार उग्रता की ओर कुछ मायनों में हिंसात्मक होता जा रहा है। धार्मिक संप्रदायों के बिच द्वेष भाव बढ़ रहा है। ऐसे में भारतीय संविधान की उद्देशिका को केवल पढ़कर काम नहीं चलेगा उस पर ढृढ़ता के साथ चलना होगा तभी अपने देश के भविष्य को संवार पाएंगे।