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पूंजीवाद व्यवस्था में कब्रिस्तान भी उजाड़ेंगे

हमने बनाया था हम ही उजाड़ेंगे

24hnbc.com
बिलासपुर, 27 जून 2024। 
हमने बनाया है हम ही सवारेंगे जब हम यह कहते हैं तो एक छुपा हुआ अधिकार हम और ले लेते हैं हम ही उजड़ेंगे। चांटीडीह क्षेत्र में इस समय जो कुछ हो रहा है उसका इशारा तो लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान ही दे दिया गया था। जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री चुनाव प्रचार के लिए बिलासपुर आए थे और बिलासपुर के नेताओं ने तीन दर्जन से अधिक जेसीबी सड़क के दोनों और खड़ी करके अपने स्टार प्रचारक का स्वागत किया था।
शहर की जनता को तभी समझ जाना था कि आने वाला समय शहर में कहां क्या दिखाई देगा सवाल इस बस्ती में बने हुए वैध अवैध मकान का नहीं है। वे तो तोड़ दिए गए जो कुछ बचे हैं वे भी टूट जाएंगे। पर एक प्रश्न कोई उठा नहीं रहा है और वह प्रश्न है की तीन दशक से अधिक समय से लगातार आकार लेने वाले इस वोट बैंक को जिन हाथों ने सिंचा सामान्य जनता की टैक्स की कमाई को इस क्षेत्र में जन सुविधा देने में लगाया लोकार्पण का सुख उठाया और उन लोकार्पण कार्यक्रमों से वोट खड़ा किया। क्या आज उनकी कोई जवाब दे ही नहीं बनती ऐसा नहीं है कि नेता पहली बार अपने वादे से पीछे हट गए। उसके पहले भी रिवर रोड के पीछे चांटापारा की बस्ती ऐसे ही उजाड़ दी गई थी। 
सरकारी जमीनों पर स्थानीय नेता स्थानीय प्रशासन की अघोषित शह के बिना कब्जे होते ही नहीं है। जब अवैध कब्जे होते हैं तब निश्चित ही उसे समय अपनी प्रासंगिकता होती है किसी को इन बस्तियों से लाभ प्राप्त करना होता है। जब प्रासंगिकता खत्म हो जाती है तब हमने बनाया था हम ही सवारेंगे इन दो लाइन के बीच में छिपे हुए अक्षर अर्थ लेते हैं हम ही उजड़ेंगे। एक समय एक दार्शनिक ने कहा था बस्ती तो एक ही है जो बस जाती है तो उजड़ती नहीं कब्रिस्तान उसे क्या पता था पूंजीवाद की संस्कृति कब्रिस्तान को भी उजड़ने से नहीं छोड़ती आज हम ऐसे ही पूंजीवादी व्यवस्था में बदकिस्मत सांसे ले रहे हैं।