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40 साल से चल रहा है बस्तर में सुरक्षा बल और माओवादी के बीच संघर्ष

24 HNBC. 

बस्तर में माओवादी और सुरक्षाबलों के बीच 40 साल से संघर्ष चल रहा है 2 दिन पूर्व जिस एंबुश में सुरक्षा बल के जवान शहीद हुए उस पर कुछ कहने के पूर्व यह आवश्यक चर्चा है। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव की कांग्रेस 2003 में सत्ता के बाहर हुई, और 2018 का चुनाव तीसरा चुनाव था जब वह सत्ता के बाहर रही। पार्टी ने जन घोषणा पत्र जारी किया। इसके क्रमांक 22 पर दर्ज है "नक्सल समस्या के समाधान के लिए नीति तैयार की जाएगी " और वार्ता शुरू करने के लिए गंभीरतापूर्वक प्रयास की जाएगी। प्रत्येक नक्सल प्रभावित पंचायतों को सामुदायिक विकास कार्य के लिए एक करोड़ रुपए दिया जाएगा। जिसमें कि विकास के माध्यम से उन्हें मुख्यधारा से जोड़ा जा सके। कांग्रेस को इस चुनाव में रिकॉर्ड तोड़ बहुमत मिला। भाजपा ना केवल सत्ता से बाहर हुई बल्कि उसकी सीट संख्या 14 -15 पर आ गई। भूपेश बघेल ने 17 दिसंबर को शपथ ली और शपथ के बाद जन घोषणा पत्र की प्रति मुख्य सचिव को सौंप दी मंत्री परिषद की पहली बैठक में जो 3 फैसले लिए गए थे उसमें से झीरम घाटी कांड की एसआईटी जांच भी शेष है। बस्तर में झीरम घाटी 25 मई 2013 माओवादी का बड़ा हमला कांग्रेस के प्रथम पंक्ति के सभी बड़े नेताओं के साथ 29 लोग मारे गए थे जिसमें महेंद्र कर्मा, विद्या शंकर शुक्ल, नंद कुमार पटेल जैसे दर्जनों नाम है। कांग्रेस की सरकार बने ढाई साल होने जा रहा है। झीरम घाटी की जांच अदालतों में उलझी हुई है नक्सल समस्या पर सरकार की किसी घोषित नीति का कोई ठौर ठीकाना नहीं है। उल्टे सीएम कई अवसरों पर कह चुके हैं उन्होंने माओवादियों से वार्ता करने की बात कभी नहीं कहीं थी, पीड़ितों से वार्ता करने की बात कही थी। राज्य सरकार ने 2019 में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जस्टिस की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी 4007 आदिवासियों की रिहाई के लिए तीन बिंदु बनाए गए। कमेटी की पहली बैठक में 313 दूसरी बैठक में 91 तीसरी बैठक में 197 मामलों पर बात हुई। 2 साल हो गए अब क्या हो रहा है पता नहीं है आदिवासियों के हर एक विरोध को यह कहकर खारिज नहीं किया जा सकता कि वह प्रायोजित है 2001 के बाद छत्तीसगढ़ में 3200 से अधिक मूल भेद मुठभेद हुई है। गृह विभाग की रिपोर्ट के अनुसार 2001 से 2019 तक माओवादी हिंसा में 1002 माओवादी मारे गए। 1234 सुरक्षा बल के जवान शहीद हुए 1782 आम नागरिक माओवादी हिंसा के शिकार हुए 3896 माओवादियों ने समर्पण किया। हाल की समर्पण नीति पर भी समय-समय पर आरोप लगते रहे हैं। 20 - 21 में 31 माओवादी पुलिस मुठभेड़ में मारे गए हैं। आरोप-प्रत्यारोप के बीच रमन सिंह जो कि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री हैं कहते हैं कि सरकार में इच्छाशक्ति की कमी है वहीं कांग्रेसी नेता कहते हैं कि रमन सिंह के कारण ही 3 ब्लॉक के नक्सली 14 जिलों तक कैसे सक्रिय हो गए। असल में प्रश्न का जवाब प्रश्न से दिया जा रहा है कुछ लोग तो नक्सलवाद के ताजा मामले को असम और पश्चिम बंगाल के चुनाव से भी जोड़ रहे हैं कुछ इसे बजट में हिस्सेदारी की लड़ाई बताते हैं हम अगले अंक में छत्तीसगढ़ में नक्सली क्षेत्रों की चर्चा करेंगे। जानेंगे कौन से हिडिंमा जिसे फोर्स गई थी पकड़ने।