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सालेम हाई सेकेंडरी स्कूल के प्राचार्य पद पर नियुक्ति भी विवाद में

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रायपुर/बिलासपुर, 30 नवंबर 2024। 
रायपुर के जिला शिक्षा अधिकारी और प्रदेश का शिक्षा विभाग यह मानता है कि किसी निजी हायर सेकेंडरी स्कूल में प्राचार्य बनने के लिए हाई सेकेंडरी स्कूलों में अध्यापन का 5 साल का अनुभव जरूरी है। साथ ही बीएड और कुछ खास विषयों में स्नातकोत्तर होना चाहिए। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत दी गई जानकारी के मुताबिक रायपुर के सालेम इंग्लिश हायर सेकेंडरी स्कूल में प्राचार्य जो सीएनआई के एक पदाधिकारी की पत्नी है और यही संस्था स्कूल को संचालित भी करती है का अनुभव 3 साल का है साथ ही उनकी शैक्षणिक योग्यता बी-टेक, एम-टेक है। इसके बावजूद शिक्षा विभाग कार्यवाही नहीं करती। 
आश्चर्य की बात यह भी है कि छत्तीसगढ़ एजुकेशन बोर्ड रायपुर जो उनके अलॉटमेंट अथॉरिटी है। उसमें भी तकनीकी समस्या है। डब्ल्यूपीसीआईएल 71/2016 के मुताबिक स्कूल जबलपुर डायोसिस एजुकेशन बोर्ड जबलपुर इस स्कूल को संचालित करता है। यह पीआईएल यह भी बताती है कि छत्तीसगढ़ एजुकेशन बोर्ड रायपुर असल में जबलपुर डायोसिस और छत्तीसगढ़ डायोसिस असल में नागपुर एजुकेशन बोर्ड नागपुर के बिशप के अंडर में 31 जुलाई 2023 तक थे। जबकि सालेम स्कूल के प्राचार्य का नियुक्ति आदेश बिशप जबलपुर डायोसिस के हस्ताक्षर से जारी हुआ और इसे जारी करने का उन्हें अधिकार ही नहीं था। 
सालेम स्कूल के प्राचार्य को कभी वाइस प्रिंसिपल तो कभी एक्टिव प्रिंसिपल बात कर प्रस्तुत किया गया। सालेम स्कूल के नाम परिवर्तन की भी एक अलग कहानी है। जिस पर अलग से समाचार बनता है। दुकान की तर्ज पर मनमर्जी तरीके से इस स्कूल का नाम बदलकर हजारों छात्रों के भविष्य को संकट में डाला गया है। ऐसा लगता है कि इसी समाज की शिक्षण संस्थाएं और उन्हें संचालित करने वाले डायोसिस मैं पारदर्शिता का बेहद अभाव है। सरकार में मंत्रालय सालों बाद भी यह नहीं समझ पा रहे की असल पदाधिकारी कौन है।