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भारत माता का असल फ्रॉड शिक्षकों का जमा नहीं हो रहा पीएफ

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बिलासपुर, 8 अगस्त 2024। 
बिलासपुर जिला ही नहीं छात्र की प्रतिष्ठित शिक्षक संस्था भारत माता के हिंदी मीडियम का हाल बेहाल है। हालांकि इस शिक्षण संस्था में कार्यरत चार शिक्षकों ने अपने ही स्टाफ पर आरोप लगाया कि उन्हें अनुदानित वर्ग में डालने के एवज में पैसा लिया गया पर वर्गीकरण नहीं किया गया। इस मामले में तो प्रथम सूचना पत्र दायर हो चुका है। पर शिक्षकों का शोषण इससे बड़े पैमाने पर हुआ। हिंदी मीडियम में कार्यरत स्टाफ संख्या 35 का पीएफ, इपीएफ वर्षों से जमा नहीं किया जा रहा है। शिक्षकों को एम्पलाई स्टेट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन का कंट्रीब्यूशन भी जमा नहीं किया जा रहा है। 
रायपुर डायोसिस बैरन बाजार के अधीन चल रही यह संस्था शिक्षा जगत की नाक है। जानकार बताते हैं कि अंग्रेजी माध्यम को तो 1970 में ही अनुदान मिल चुका था। इस संस्था में छात्र होना एक समय गौरव का विषय होता था पर अब ऐसा नहीं है। हिंदी मीडियम की हालत तो और भी खराब है अन्य स्कूल जहां एडमिशन के लिए हाथ पांव जोड़ते हैं यहां छात्रों को एडमिशन ही नहीं दिया जाता है। 
कर्मचारियों का पीएफ ना जमा करना ईसाई शिक्षण संस्था का पुराना रोग है। पीएफ जमा न करने के पीछे सुनियोजित षडयंत्र की बात बताई जाती है। पीएफ जमा न होने की शिकायत शेफर्ड स्कूल के संदर्भ में भी है। जयपुर की एक संस्था ने तो पीएफ जमा करने के नाम पर ही कब्रिस्तान बेच दिया था। भारत माता स्कूल में शिक्षकों की हालत बेचारा गुरु जी के स्तर पर है। कोविड कालखंड के समय से इंक्रीमेंट नहीं दिया जा रहा है। इतना ही नहीं शाला की तीन बड़ी गतिविधियां जिससे छात्रों का राष्ट्रीय गौरव बोध तैयार होता है। एनसीसी, एनएसएस और स्काउट गाइड की गतिविधियां पूरी तरह बंद है। इस शाल के पूर्व छात्र जो आज भारत देश के कोने-कोने पर बैठे हैं की खराब स्थिति देखकर व्यथित होते हैं।