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दीक्षारंभ और कर्तव्य से विमुख होने के बीच संबंध
- By 24hnbc --
- Monday, 05 Aug, 2024
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बिलासपुर, 5 अगस्त 2024।
जब कार्यक्रम ही करना है तो रास्ते निकल ही आते हैं। मामला अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय का है। लीजिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 संवेदीकरण कार्यक्रम छोटा शीर्षक है। आयोजन का नाम दीक्षारंभ समारोह 2024 मुख्य अतिथि श्रीमती कौशल्या विष्णु देव साय जी अन्य जो नाम है लिखना जरूरी है अति विशिष्ट अतिथि दीदी मां प्रज्ञा भारती, कार्यक्रम की अध्यक्षता आचार्य एडीएन बाजपेयी और संयोजक का दायित्व निभा रहे डॉक्टर एचएस होता । हमें इस कार्यक्रम से कोई लेना-देना नहीं था हम एक आरटीआई का आवेदन लगाने से 12:00 के पूर्व अटल विश्वविद्यालय गये। प्रथम डेस्क को छोड़कर किसी भी विभाग के कार्यालय का कोई भी छोटा बड़ा अधिकारी या कर्मचारी अपनी सीट पर नहीं मिला। सब कार्यक्रम में संख्या बल बढ़ाने गए थे। प्रथम डेस्क पर उपलब्ध कर्मचारियों ने पहले हमें सलाह दी की रजिस्टर के दफ्तर में यह आवेदन को दें। हमने उसके सलाह को माना पर दोनों कुल सचिव के दफ्तर में ताला लगा था। जो कार्यालय खुला था उसने कोई कर्मचारी नहीं था।
हम फिर से प्रथम डेस्क पर आए तब कर्मचारी ने कहा। आपका आवेदन तो ओल्ड हाई कोर्ट भवन में लगेगा, हमें मजबूरी में उसे समझाना पड़ा की अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 6(1), 6(3) के तहत वह आवेदन पत्र को संबंधित शाखा भेज सकता है। पूरे विश्वविद्यालय में जन सूचना अधिकारी एक ही होगा। पृथक विभाग के कार्यालय का पृथक जन सूचना अधिकारी नहीं होता, तब कहीं जाकर उसने हमें पावती दी।
दीक्षारंभ समारोह हमारे लिए नई शब्दावली है। छोटे बच्चों की शिक्षा आरंभ एक संस्कार है। पर विश्वविद्यालय में दीक्षारंभ समारोह राष्ट्रीय शिक्षा नीति की गाइडलाइन हो सकती है। इस कार्यक्रम में राज्य के मुख्यमंत्री की पत्नी मुख्य अतिथि है। इसे ही समारोह का महत्व पता चलता है। अटल विश्वविद्यालय के कुलपति महोदय स्वभाव से उत्साह धर्मी है। जहां चाह वहां राह की तर्ज पर पग - पग पर समारोह उनके बहु आयामी व्यक्तित्व पर एक छोटा सा लक्षण है। पर इन कार्यक्रमों के कारण विश्वविद्यालय के अधिकारी, कर्मचारी श्रोता बनाकर कार्यक्रम में बैठ जाते और अपने काम से जी चुराते हैं। इससे कार्य संस्कृति का पतन हो रहा है। और उसे पतन कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति महोदय अनजाने में करते हैं।