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बातों के बतासे हमें कहां लेकर जाएंगे

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समाचार -
बिलासपुर, 8 फरवरी 2023। जेईई का रिजल्ट आया और एक बार फिर से यह चर्चा जरूरी है कि देश का सिर्फ नेतृत्व बातों के बतासे में कितना खर्च करता है, और देश की पीढ़ी तैयार करने पर कितना खर्च करता है। 16 फरवरी 2018 को प्रधानमंत्री ने पहली बार परीक्षा पर चर्चा की जिसका खर्च 3 करोड़ 76 लाख रुपए हुआ। कुल 5 बार मे 28 करोड़ रुपए परीक्षा पर चर्चा में खर्च हुए। देश में शिक्षा संतति सूची में है अर्थात केंद्र और राज्य दोनों खर्च कर सकते हैं। नवोदय विद्यालयों पर वर्ष 2017-18 मे कुल 3185 करोड़ और 21-22 में 3740 करोड़ खर्च हुए जिस तरह से देश में कर्ज लेकर धन्ना सेठों को विश्व के सर्वाधिक पूंजी पतियों की लिस्ट में पहुंचाना केंद्र सरकार की प्राथमिकता है उनके सामने विद्यालयों पर खर्च नगण्य है। केंद्रीय विद्यालय का 17-18 मैं कुल बजट 4997 करोड़, 21- 22 में 6800 करोड़ रुपए एक तरफ सरकार दावा करती है कि उसने 13-14 के मुकाबले 9 गुना अधिक बजट दिया है पर शिक्षा में तो दोगुना भी नहीं होता इसी तरह केंद्र सरकार के दो स्कूल केंद्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालय में शिक्षकों के और गैर शैक्षणिक पर हजारों की संख्या में खाली पड़े पद है केंद्रीय विद्यालय में शिक्षकों के 12099 पद गैर शिक्षकों के 1312 पद खाली हैं। नवोदय में शिक्षकों के 32271 पद खाली हैं और गैर शैक्षणिक पद 1756 पद खाली हैं। वही आईआईटी में 4425 शिक्षक पद खाली और गैर शैक्षणिक पद 5052 पर इसी तरह एनआईटी में शैक्षणिक पद 2090 और गैर शैक्षणिक 3776 पद खाली हैं। इसके विपरीत निजी क्षेत्र में देखें तो इन दिनों ग्रेजुएशन की फीस 11 लाख रुपए पार कर रही है और देश का बचपन अब दूध के लिए तरस रहा है। बातों के बतासे बैठकर आखिर प्रधानमंत्री देश के युवाओं को क्या एनएक्स की ओर धकेलने का प्रयास तो नहीं कर रहे।