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किसान की आय दोगुनी नहीं जिंदगी आधी हो गई

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बिलासपुर, 4 जुलाई 2025। 
किसान की आय, दोगुनी करने का वायदा था जुमला, गारंटी पर किसान की जिंदगी आधी हो गई। 2022 में आत्महत्या की संख्या 11000 से ऊपर है और 24 में इसमें और वृद्धि हुई। महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश में किसान आत्महत्या के मामले रोज सुर्खी बनते हैं। छत्तीसगढ़ की बात करें सरकार क्या डीएपी की जरूरत नहीं जानती पर यह संकट सरकार की लापरवाही और प्रशासनिक विफलता दोनों को बताता है। आत्महत्या निर्भर भारत, श्रेष्ठ भारत, डिजिटल भारत, विश्व गुरु भारत अपनी डीएपी की 60 से 70 फ़ीसदी जरूर आयात से पूरी करता है। 
अप्रैल से अगस्त 2024 तक 15.9 लाख टन डीएपी आयात हुआ। जबकि 2023 में इसी अवधि में 32.5 लाख टन आया था। यूक्रेन अपनी घरेलू मांग को ज्यादा ध्यान दे रहा है। डीएपी का कच्चा माल फास्फेट मोरक्को से आता है यह भारत की मेक इन इंडिया पद्धति से 24.93 लाख टन डीएपी बना मांग 52 लाख टन की थी। छत्तीसगढ़ की सरकार कहती है डीएपी का 64% मांग पूरा कर दिया गया है। वैकल्पिक व्यवस्था नैनो डीएपी तथा एनपीके जब पंजाब के किसान नहीं अपनाते तो छत्तीसगढ़ के क्या अपनाएंगे। सरकारी दर 1350 रुपए है डीएपी ₹2100 तक बिक रहा है। इसलिए किसी करने वाले कांग्रेस नेता टाकेश्वर पाटले कहते हैं। बगैर कर्ज खेती नहीं होती लागत कर्ज से ज्यादा है सरकार जिस दर पर धान खरीदी है उतने पैसे में तो डीएपी नहीं मिल रहा है। इसलिए उन्होंने कहा आमदनी दुगनी नहीं हुई जिंदगी आधी हो गई।