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अपराधों की राजधानी जयराम नगर

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बिलासपुर, 29 जून 2025। 
    एक समय अपने औद्योगिक अधोसंरचना को लेकर नाम कमाने वाला जयरामनगर अब गैरकानूनी कामों को लेकर तेजी से बदनाम हो रहा है। कोयले की अफरातफरी, गिट्टी खदान, क्रेशर, कोलवासरी की आड़ में मजदूर का शोषण, रेलवे बेगनों में घपले और स्थाई रूप से जमीनो की चोरी, ये सब इस क्षेत्र में पैसे की आसान आमद देते हैं। जो जितना असमाजिक है वह उतना ही सफल है। क्षेत्र में स्कूल, अस्पताल के स्थान पर अन्य सभी वे सब उद्योग पनप रहे हैं जिम गैरकानूनी कामों को संरक्षण मिलता है। जयरामनगर के लाख उद्योग ने जब अंतिम सांसें गिनी, उसके बाद बहुत दिनों तक इस क्षेत्र में कोई भी गतिविधि नहीं थी। फिर सबसे पहले गट्टी, क्रेशर, लगना शुरू हुए।गिट्टी खदान के कारण अवैध विस्फोट ने असमाजिक तत्वों को सक्रिय कर दिया। धीरे-धीरे जब कोलवासरी ने इस क्षेत्र में आकर लिया तब कोयले की चोरी और उसमें सक्रिय तत्वों के चलते अवैध धंधों से यह क्षेत्र भरा-पुरा हो गया।
 बाद में जमीन की अफ़रा-तफ़री पहले छोटे पैमाने पर थी। कोलवासरी के आने से कोल साइडिंग भी आई और कोल साइडिंग ने ही शासकीय जमीन को निजी बताकर मोटा माल वसुलना प्रारंभह हुआ। बाद में सड़कों के चौड़ीकरण ने, नेशनल हाईवे के आने से और भारतमाला प्रोजेक्ट ने तो जमीनों को दो नंबर के काम करने वालों के लिए भाग्य के दरवाजे खोल दिए। देखते-देखते जिन युवाओं को बाइक नसीब नहीं होती थी वे एक्सयूवी के मालिक बन गए। आसान पैसा उड़ंगता की ओर ले जाता है। यही कारण है अवैध वसूली और आसान रास्तों से पैसा कमाने की होड़ ने क्षेत्र में अपराधिक घटनाओं को बढ़ाया है।