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उत्खनन की डस्टबिन से बचे, बने उत्पादक इकाई ऐसी हो नई उद्योग नीति
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बिलासपुर, 11 सितंबर 2024।
2001 में छत्तीसगढ़ बना मुख्य तौर पर छत्तीसगढ़ बनने के पीछे जो तर्क दिया जाता है। वह विकास के मार्ग पर संपन्न धरती होते हुए आगे न बढ़ पाना हमारा प्राकृतिक दोहन हुआ और विकास कहीं अन्य स्थान पर हुआ। इस प्रश्न पर एनसीपी के नेता निलेश बिश्वास से चर्चा हुई वे युवा हैं और उद्योग वाणिज्य को उच्च शिक्षित होने के कारण सैद्धांतिक व्यावहारिक दोनों तरीकों से समझते हैं।
उन्होंने कहा की स्थापना के 24 वर्ष हो गए, 2001, 2003 के मुकाबले प्रदेश का बजट 8 गुना ज्यादा है और स्थापना खर्च भी पूर्व की अपेक्षा ज्यादा है। शासन के कुल वर्षों का सर्वाधिक हिस्सा भारतीय जनता पार्टी के पास जाता है अत: उद्योग नीति में जो कुछ अच्छा बुरा हुआ उसका उत्तरदायित्व भी भाजपा को लेना होगा। 2001 के पहले छत्तीसगढ़ की धरा से प्रचुर मात्रा में खनिज निकाला जाता था और विकास भोपाल - इंदौर का होता था। अब विशाखापट्टनम और हैदराबाद का होता है। खनिज उत्खनन की वर्तमान स्थिति से यह संकेत जाता है दुर्ग से विशाखापट्टनम ट्रेन वंदे भारत और बिलासपुर से हैदराबाद की फ्लाइट यही बताता है। इस समय खनिज उत्खनन से चार लाख करोड़ का व्यवसाय चल रहा है वे कहते हैं आप स्वयं अंदाज लगायें। छत्तीसगढ़ में उत्पादक इकाइयां कितनी है जो इकाई संचालित हो रही है उसकी तकनीक को बंद हुए दो दशक हो चुके । स्पंज आयरन के उद्योग इस बात का उदाहरण है। बिलासपुर से लगा हुए जिला जांजगीर-चांपा में बिजली कारखानों की स्थापना के 40 एएमयू हुए पर स्थापना मात्र एक की हुई और वह भी बिक्री के फाइनल पड़ाव पर। बिश्वास ने कहा कि एक समय छत्तीसगढ़ को सीमेंट उत्पादन का हब माना जाता था। प्रतिस्पर्धा थी आज ऐसा नहीं है कुछ चुनिंदा उद्योगपतियों का एकाधिकार है। और हमारे यहां से ही खनिज उत्खनन करने के बावजूद हमको प्रतिस्पर्धी मूल्य पर सीमेंट नहीं मिलती है।
भारतीय जनता पार्टी के 10 सांसदों में से मात्र एक ने इस बात को उठाया इन दिनों दो और खनिज लिथियम और टिन उत्खनन का केंद्र बिंदु छत्तीसगढ़ होने वाला है। पर प्रोड्यूसर नहीं बनेगा क्या यह छत्तीसगढ़ महतारी के संतानों के साथ न्याय कहा जा सकता है। भूसे से बिजली, रतनजोत से डीजल जैसे दिवास्वप्न खूब दिखाए गए। वास्तविकता हम सब जानते हैं। छत्तीसगढ़ की खनिज प्रचुर धरती तेजी से डस्टबिन बन रही है हम उम्मीद करते हैं कि नई उद्योग नीति जिस पर चर्चा चल रही है हमको उत्खनन के साथ उत्पादक इकाई देने वाली भी बनेगी तभी आम जनता का कल्याण होगा।