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लोकतंत्र और संविधान को बचाना है तो इलेक्टोरल बॉन्ड की लूट को समझना ही होगा
- By 24hnbc --
- Tuesday, 19 Mar, 2024
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बिलासपुर, 20 मार्च 2024।
देश की सर्वोच्च अदालत में स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया को कहा है कि 21 मार्च तक वो इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी सब जानकारी को उपलब्ध कराए। अभी तक जो डाटा उपलब्ध है और बॉन्ड खरीदने के तारीख के आसपास आगे या पीछे ईडी, आईटी की कार्यवाही का पैटर्न बहुत कुछ कहता है। बहुचर्चित लॉटरी व्यवसाय की कंपनी फ्यूचर गेमिंग ने अक्टूबर 2020, जनवरी 2024 के बीच 1368 करोड़ के बॉन्ड खरीदे। 2 अप्रैल 2022 को ईडी ने लॉटरी घोटाला मामले में इस कंपनी की 409. 92 करोड़ की चल संपत्ति अटैच कर दी। 7 अप्रैल 2022 को कंपनी ने 100 करोड रुपए के बॉन्ड खरीदे 11 अप्रैल 2023 को कंपनी ने 60 करोड़ के बॉन्ड फिर खरीदे, 11 दिसंबर 2023 को ईडी ने फिर छापेमारी की अबकी बार 457 करोड़ की चल अचल संपत्ति बरामद की 6 जुलाई 2023 को कंपनी ने फिर 62 करोड़ के बॉन्ड खरीदे। टोरेंट पावर लिमिटेड 7 मई 2019, 10 जनवरी 2024 के बीच 106.5 करोड़ चुनावी बॉन्ड खरीदे। 7 मार्च 2024 को उसे पीएम कुसुम योजना के तहत 1540 करोड रुपए की 306 मेगावाट की सौर परियोजना का कांटेक्ट मिला। 9 जनवरी 2024 को इस कंपनी ने 15 करोड़ के बॉन्ड फिर खरीदे, 10 जनवरी को 10 करोड़ का बांड खरीदा। 2019 में स्थापित यशोदा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल ने 4 अक्टूबर 2021, 11 अक्टूबर 2023 के बीच 162 करोड रुपए का बॉन्ड खरीद, 22 दिसंबर 2020 मे रेड हुई 4 अक्टूबर 2021 से ही बॉन्ड खरीदना प्रारंभ कर दिया था। शिरडी साईं इलेक्ट्रिकल 18 दिसंबर 2023 को रेड हुई 11 जनवरी 2024 को 40 करोड़ का बॉन्ड इसी किस्मके मामले कल्पतरु, माइक्रोलैब्स, हीरो मोटोकॉर्प, एपीसीओ लिमिटेड, डॉक्टररेड्डीस लैब के साथ भी है। बॉन्ड खरीदने के साथ रेड का क्या मतलब है। सीधी बात है जितना मिला उतने में संतुष्टि नहीं है। निचोड़ के पैसा निकाला गया यदि किसी कंपनी को 10000 करोड़ का प्रोजेक्ट मिला है तो आप उसे 8 -10% निचोड़ ही सकते हैं। सेल कंपनी और मूल डोनर का पता चलना चाहिए । आखिर लोकतंत्र के मैदान में राजनीतिक दलों के बीच इतना बड़ा अंतर आ जाएगा तो यह लोकतंत्र कॉर्पोरेट तंत्र हो जाएगा। और लाभार्थी केवल वोट देने का काम करेगा तंत्र पर कब्जा पूंजीपतियों का होगा।