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डीआर एक बहाने अनेक
- By 24hnbc --
- Monday, 20 Mar, 2023
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बिलासपुर, 21 मार्च 2023। जिले में गृह निर्माण सहकारी समितियों के काम-काज का नियमों से कोई लेना-देना नहीं है। तीन समितियों का जिक्र हम एक साथ कर रहे हैं, और तीनों सहकारी समितियां नाम से तो ऐसा लगता है कि प्रबुद्ध वर्ग के द्वारा निर्मित है। पहला कोयला कर्मचारी गृह निर्माण सहकारी समिति लगरा, दूसरा सरकारी कर्मचारी सहकारी समिति मोपका और तीसरा पत्रकार गृह निर्माण सहकारी समिति तीनों में पदाधिकारियों ने अनियमितता की इनमें से दो पर प्राधिकृत अधिकारी बैठा है और एक पर कलेक्टर ने जांच बैठा कर रखी है। पता चलता है कि इसका भंग होना केवल समय की बात है जब कभी भी जांच रिपोर्ट आ जाएगी रिपोर्ट में अनियमितता की श्रृंखला इतनी लंबी बन रही है कि मोपका कि यह समिति भंग हो जाएगी।
पहला मामला कोयला कर्मचारियों का है, डीआर ने अब तक इस समिति में तीन बार परिसमापक अधिकारी की नियुक्ति की है। पर तीनों ने समिति में जाकर कार्यभार ग्रहण नहीं किया, जबकि सहकारी अधिनियम की धारा 53 (2) धारा 1 के अधीन यथा स्थिति समिति या सोसाइटी का कार्यभार प्राप्त करने के लिए हकदार व्यक्ति के संबंध में यह समझा जाएगा कि उसने अपने पद का उप धारा 2 में वर्णित तारीख से ग्रहण कर लिया है। चाहे ऐसा कार्य भार वस्तुतः सौंपा गया हो या ना सौंपा गया हो। इतनी सीधी व्याख्या के बावजूद डीआर के द्वारा नियुक्त किए गए तीन परिसमापक अधिकारी 6 महीने बीत जाने के बावजूद बिलासपुर डीआर ऑफिस से निकल कर कोयला कर्मचारी गृह निर्माण समिति में कार्यभार ग्रहण नहीं कर सके, इससे स्पष्ट लगता है कि कोयला कर्मचारियों की समिति ने परिसमापक अधिकारी के साथ कोई अंडर टेबल डील कर रखी है और बदले में समिति पदाधिकारियों को पूरी तरीके से धंधा करने की छूट मिली हुई है।
दूसरा पत्रकारों की समिति अनियमितता का आरोप लगने के बाद डीआर ने प्राधिकृत अधिकारी घोषित किया और उसने तुरंत कार्यभार ग्रहण कर लिया यहां पर कार्यभार ग्रहण करने में उसे एक घंटा भी नहीं लगा निश्चित बात है कि पत्रकारों के गृह निर्माण समिति के पदाधिकारियों के पास प्राधिकृत अधिकारी को देने के लिए ठन-ठन था । समझा भी जा सकता है कि जो बिरादरी लेकर काम चलाती है वह देने के लिए क्या कर सकती है। अभी लगातार इस समिति के संदर्भ में एक सदस्य अपनी परेशानी बताता है उसका कहना है कि उसके पास इस समिति में एक भूखंड है, जिसे वह बेचना चाहता है और उसे पूर्व पदाधिकारी एनओसी नहीं दे रहे हैं। ऐसी एनओसी पूर्व पदाधिकारी दे भी नहीं सकते पर दो प्रश्नों का उत्तर कोई नहीं दे रहा..... पहला समिति पत्रकारों की है जिसे सरकार ने सस्ते दर पर तमाम छूट के साथ जमीन दी समिति के सदस्य वही बन सकते हैं जो पत्रकार हैं ऐसे में पत्रकार सदस्य यदि अपनी भूखंड को बेचना चाहता है तो गैर पत्रकार बाहरी व्यक्ति को कैसे बेच सकता है। यदि बिक्री कर दी जाती है तो गैर पत्रकार को पत्रकार गृह निर्माण सहकारी समिति अपनी सदस्यता कैसे दे सकता है। यदि ऐसा किया जाता है तो गलत परंपरा होगी कि सस्ते में सरकार से सूट प्राप्त कर पत्रकार अपनी भूखंड को किसी गैर पत्रकार को कैसे बेच सकता है।
तीसरा मोपका की समिति के खिलाफ सर्वाधिक चर्चित शिकायत है पूर्व सांसद इनग्रिड मैक्लाउड की है जिसमें कहा गया है कि उन्होंने सहकारी समिति में एक दो नहीं बल्कि चार प्लाट खरीदी यह बात गले ही नहीं उतरती , एक सांसद एक प्लाट से ज्यादा क्यों खरीद रहा है प्रत्येक खरीदी के पूर्व यह शपथ पत्र देना होता है कि क्रय करने वाले व्यक्ति ने किसी अन्य समिति में कोई भूखंड क्रय नहीं किया है और ना ही प्रदेश के भीतर उसके नाम पर कोई दूसरी अचल संपत्ति है । ऐसे में फिर प्रश्न उठता है कि समिति के भीतर एक ही परिवार एक से अधिक भूखंड कैसे खरीदते हैं। मोपका कि गृह निर्माण सहकारी समिति में तो पति पत्नी ही 6-6 प्लाट खरीद चुके हैं। जिसका सीधा अर्थ है सहकारिता की आड़ में सदस्य जमीन का खरीदी बिक्री का व्यवसाय कर रहे हैं जो सहकारिता के मान सिद्धांतों का उल्लंघन है पर बिलासपुर में जमीन के लिए सब जायज है और करने वाले समाज के प्रबुद्ध जन है। इनमें कोई अधिवक्ता है कोई सरकारी कर्मचारी है कोई माननीय जनप्रतिनिधि है तो कोई पत्रकार है।