No icon

24hnbc

नागरिकों को ना समझे भोजन, डंडे रखकर नहीं चलेगा शासन

24hnbc.com
समाचार - बिलासपुर
बिलासपुर। राजस्व विभाग के तहसीलदार और अन्य कर्मचारी आज हड़ताल पर हैं। यह आंदोलन प्रदेश स्तर पर है। बताया जाता है कि रायगढ़ में अधिवक्ता ने एक नायब तहसीलदार को पीट दिया उसके पूर्व बिलासपुर में अधिवक्ताओं ने कलेक्टर को इस आशय की शिकायत की कि तहसील बिलासपुर में एक महिला तहसीलदार शिकायत में नाम का उल्लेख भी है नामांतरण जैसे आदेश करने के लिए पैसा मांगती है इन दो घटनाओं से प्रदेश में तहसील स्तर की नौकरशाही से आम जन कितने परेशान हैं का अंदाज लगता है। एक समय था जब सभ्य नेताओं के कहने पर सविनय अवज्ञा आंदोलन इसी देश में चलता था अब न वैसा नेतृत्व है न नागरिक ऐसे में सविनय की बात कौन करे एक दो बार विनय कर लेते हैं फिर अधिकारी के समक्ष सुविधा शुल्क भी देते हैं इतने पर भी यदि काम ना हो तो नाराजगी स्वाभाविक है। बिलासपुर तहसील कार्यालय में काम करने वालों का अनुभव यही है कि नियमतह काम कराने के लिए भी निर्धारित सरकारी प्रक्रिया शुल्क के अतिरिक्त बड़ी धनराशि मार्फत देना पड़ती है ऐसे में आम लोगों की नाराजगी सविनय की अपेक्षा उग्र होती जाती है। किस काम के लिए कितना सुविधा शुल्क लगेगा इसका कोई निश्चित पैमाना नहीं है निर्वाचित सरकार अपने तरीके से हर जिले में एक प्रभारी मंत्री बनाती है, अपेक्षा की जाती है कि प्रभारी मंत्री व्यवस्थापिका के बारे में आम नागरिकों की परेशानी को सुनेंगे और निदान करेंगे परंतु ऐसा कभी होता दिखाई नहीं देता जब कभी भी प्रभारी मंत्री जिले के दौरे पर आते हैं तब पत्रकार जनता की समस्याओं को पूछते भी हैं निदान भी चाहते हैं बदले में कुछ मंत्री तो ओवर रिएक्ट होते हैं वह कार्यवाही के स्थान पर अपने अधिकारियों को बचाने वाले बयान देने लगते हैं अभी भी थोड़ा वक्त है शासन अपने स्तर पर कार्यवाही कर सकती है तो जनता निर्णय और एक्शन खुद नहीं करेगी यदि कार्यवाहीयां नहीं हुई जनता को अपने काम के लिए रास्ते नहीं दिखे तो स्ट्राइक होनी ही है उल्टे आज नेहरू प्रतिमा के पास आंदोलनरत कर्मचारी अधिकारी सलाह दे रहे थे कि ऑफिस के अंदर अलमारी के पीछे डंडा रख कर बैठा जाए और समय अनुकूल उपयोग किया जाए । उत्तर में यदि आवेदक आवेदन पत्र के साथ डंडा लेकर ही आएगा तो ऑफिस में रखा एक डंडा कितने डंडों का मुकाबला करेगा डंडे का मुकाबला डंडे से इस तरह तो लोकतंत्र ध्वस्त हो जाएगा उचित होगा सरकारी अधिकारी नागरिकों को भोजन ना समझे क्योंकि इन्हीं नागरिकों के कर भुगतान के दम पर वेतनमान उन्हें प्राप्त हो रहा है।