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मिश्रा जी अब विवादित है, धीरे से ढलान पर जाएंगे

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बिलासपुर, 29 जून 2024। 
भारतीय दर्शन में ज्ञान के स्रोत के लिए एक स्रोत आप्त वचन को भी स्थान दिया गया है। गुरु शिष्य परंपरा में ज्ञान ट्रांसफर का यह एक आसान तरीका था। पर अब यही तरीका विवादित होता जा रहा है। जिसे गुरु माना स्वार्थ के वशीभूत होकर, तो समस्या खड़ी होनी ही है। कुछ साल पूर्व खाते में दसवंत डलवाने वाले निर्मल बाबा ने सनातनी भक्तों से शिव की पिंडी घर के बाहर करवा दी थी। इन दोनों प्रदीप मिश्रा के चलते शिवजी का मार्केटिंग जोरों पर है। तुलसी खाते कई को दिखा पर बेलपत्र खाना इन दोनों प्रदीप मिश्रा के कारण दिखाई देता है। मिश्रा जी के खिलाफ इन दोनों उज्जैन के संतों ने मोर्चा खोल रखा है। यूं तो मिश्रा जी काफी कुछ विसंगति पूर्ण कहते रहते हैं पर दो ताजा उदाहरण राधा की शादी क्यों नहीं हुई उसके पति का नाम नंद और जेठानी का नाम भी उनके श्रीमुख से निकला है। मैं तुलसी जी के समान गवार हूं। इन दो वक्तव्य के चलते उज्जैन के संत समाज ने मिश्रा जी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। संत समाज का कहना यह भी है कि छोटे से अंतराल में मिश्रा जी ने अकूट धन कमाया, जांच का विषय है। एक बात यह ध्यान देने योग्य है कि कथा वाचक के नाम पर मिश्रा जी कई शहरों में जाते हैं कई जगहों पर केवल आने का हल्ला उठता है और कलेक्शन शुरू हो जाता है। कौन करता है पता चलता है कितना करता है यह पता नहीं चलता। मिश्रा जी नहीं आएंगे तो उनके नाम पर इकट्ठा किया धन, अन्न, अनाज, तेल जैसी चीजें कहां जाती हैं। चंदाखोरी के समय दिखाने वाले चेहरे बाद में अदृश्य हो जाते हैं कोई ध्यान नहीं देता।
बिलासपुर में कुछ ऐसा ही हुआ था आयोजकों ने अपने लक्ष्य के लिए बिलासपुर प्रेस क्लब में पत्रकारवार्ता भी की थी, मिश्रा जी नहीं आए किंतु उन्हें दिनों शहर में महिलाओं का एक चोर गिरोह जरूर आया था। कई कारनामे भी किया, सबसे बड़ा प्रश्न है किसी कथा वाचक के पीछे ऐसी कौन सी राजनीतिक शक्ति होती है कि उसके घपले भी दबे रहते हैं। यह वैसा ही है जैसा चिट फंड कंपनी का धंधा और उसमें फंसे का कारण काम है।