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पत्रकार बिरादरी को शंकराचार्य ने बता दिया 4 डब्ल्यू

स्वयं को सनातनी कहते हैं और उलझ रहे हैं शंकराचार्य से

24hnbc.com
बिलासपुर, 14 जनवरी 2024।
राम मंदिर राम प्रतिष्ठा पर लिखने का कोई विचार नहीं था पर जब इस इवेंट के पीछे एक संगठन ने सनातन से हटकर सनातन धर्म से हटाकर अपना निजी मामला बना लिया और सनातन धर्म की ठेकेदारी शुरू कर दी तब शंकराचार्य को बोलना पड़ा। ‌ क्योंकि एक ऐसी संस्था जिसका उदय 1964 में हुआ वो 300 ईसा पूर्व आदि शंकराचार्य की परंपरा को वाहिद करने वाले शंकराचार्यों पर उंगली उठाई तो सनातन धर्म को मानने के कारण पत्रकारिता का असल धर्म निभाने के कारण लिखना जरूरी है।
वैष्णो परंपरा में राम उपवास है ही नहीं परिधान मंत्री जो उपवास कर रहे हैं वह डैमेज कंट्रोल का उनका तरीका है। उपवास आत्म शुद्धि के लिए होता है उसे भी इवेंट मैनेजमेंट बना लिया जाए यह शुरुआत तो अन्ना राणे सिद्धि ने सिखाई और तभी से गोदी मीडिया का जन्म हुआ। शंकराचार्य ने विशुद्ध राजनीति कार्यक्रमों की आलोचना की वे सनातन धर्म रक्षक हैं। जहां कहीं भी सनातन धर्म की हानी होते दिखेगी बोलना उनका कर्तव्य है। अविमुक्तेश्वरानंद जिस पीठ के उनके पूर्व स्वरूपानंद शंकराचार्य थे। याद करें उन्होंने सनातन धर्म मानने वालों से स्पष्ट कहा था। साई बाबा ईश्वर नहीं है अपने पूजा स्थल से बाहर करें और लोगों ने किया।
एक नहीं चारों शंकराचार्य ने तार्किक के कारण बताते हुए अयोध्या के 22 जनवरी के कार्यक्रम से दूरी बना ली है बस यही एक राजनीतिक दल के ट्रोल आर्मी उनके पीछे पड़ गई यही होता है याद करें किसान आंदोलन, पीएए, पीएए आंदोलन, अग्नि वीर आंदोलन, महिला रेसलर का आंदोलन सभी के साथ ऐसा ही व्यवहार किया जाता है। संवाद कुंज नाम के एक दैनिक अखबार ने तो शंकराचार्य को 5 लाख लेकर प्राप्त होने वाला लिख दिया। इसके बाद शंकराचार्य ने पत्रकार वार्ता बुलाकर पत्रकारों को पत्रकारिता का 4 डब्ल्यू सीखा दी पूछा कब कहां किसने दिया उन्होंने पत्रकार वार्ता में उपस्थित पत्रकारों को ही नहीं पूरी बिरादरी को पत्रकार होने का दायित्व बताया और ना मानने वाले पर थू कहा आगे कहा बंधु आप आईना हो पक्ष विपक्ष नहीं लेते जैसा है उसे वैसा ही रखो अपना कर्तव्य करो जब पत्रकारों ने बहिष्कार की बात कही तो उन्होंने कहा जो आप कर रहे हो जैसा कर रहे हो बहिष्कार तो आपका हो जाएगा।
आज युवा पीढ़ी को और व्हाट्सएप अंकल आंटियों को यह बताना पड़ रहा है कि हमारे भारतीय दर्शन में आस्तिक नास्तिक दो परंपरा है। जो वेद को मानते हैं वह आस्तिक है जो नहीं मानते वे नास्तिक है। शंकराचार्य ने वेद को न मानने वाले बौद्ध दर्शन और जैन दर्शन चार्वाक दर्शन ये नास्तिक हैं। यदि शंकराचार्य ने बौद्ध जैन गुरुओं को शास्त्रांश में पराजित नहीं किया होता तो सनातन धर्म जिस पर आज कुछ चार्वाक परंपरा का पालन करने वाले इठलाते घूम रहे हैं होता ही नहीं। ऐसे ही लोग धर्म, धर्म दर्शन को जाने बगैर अपने राजनीतिक लाभ के लिए 300 ईसा पूर्व की सनातन परंपरा के 4 शंकराचार्यों को ट्रोल कर रहे हैं। पहले नकली को दंड का कर उनकी पूजा की अब प्रभु श्री राम को रामनामी संप्रदाय का बात कर 13 अखाड़े की हंसी उड़ा दी, आधुनिक व्हाट्सएप ज्ञानी धीरे-धीरे राष्ट्र संत विवेकानंद, अरविंदु, रामकृष्ण परमहंस सबको एक-एक करके अपने निशाने पर लेंगे।
जिन्हें वेद वेदांत उपनिषद का ज्ञान ही नहीं है वह पीएससी प्रश्न पत्रों से आधी अधूरी सामान्य ज्ञान की जानकारी लेकर कथित आचार्य के सामने नतमस्तक हैं स्वयं को विश्व गुरु का फॉलोअर बता रहे हैं इससे हमें श्री राम ही बचाए।