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शासकीय जमीन चोरी पर दर्रीघाट के नागरिकों ने खूब की नारेबाजी

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समाचार :-
बिलासपुर, 15 नवंबर 2022। ग्राम पंचायत दर्रीघाट में शासकीय जमीन की अफरा-तफरी का मामला आज बिलासपुर कलेक्ट्रेट में खूब गुंजा। ग्राम पंचायत से आए नागरिकों ने मस्तूरी राजस्व अधिकारी तहसीलदार गो बैक के नारे लगाए। ज्ञापन सौंपते हुए क्षेत्रीय नागरिक टांकेश्वर पाटले ने मस्तूरी के राजस्व अधिकारियों पर आरोप लगाया कि अधिकार अभिलेख, निस्तार पत्र, मिसल की जांच किए बिना फोवती नामांतरण के प्रकरणों पर आदेश किए जा रहे हैं । पूर्व में दर्रीघाट में निस्तार पत्र के अनुसार 29 एकड़ भूमि शासकीय रूप में दर्ज थी। जो अब घटकर आधी से भी कम रह गई है। उन्होंने एडिशनल कलेक्टर के समक्ष अपनी बात रखते हुए कहा कि खसरा नंबर 20, खसरा नंबर 18 में छेड़खानी की गई है और एक खास व्यक्ति को लाभ पहुंचाया गया है। खसरा नंबर 150 जिसमें बड़ी मात्रा में आवंटित भूमि थी बिना सक्षम अनुमति के नामांतरण कर दी गई। खसरा नंबर 36 में 9950 हेक्टेयर जमीन हुआ करती थी आज खसरा ही गायब है। इसी तरह खसरा नंबर 29, 30 एवं 38 का हाल है। 
शासकीय जमीन पर बटांकन दिया गया खसरा नंबर 150/18 आवंटित भूमि थी पर उसका भी डायवर्शन हो गया जो कि नियम विरुद्ध है। आवंटित भूमिका हस्तांतरण एवं मद परिवर्तन नहीं किया जा सकता उन्होंने मस्तूरी अनुविभागीय कार्यालय के अधिकारियों पर गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए कहा कि हाल ही में एक तहसीलदार जो पूर्व में सकरी में पदस्थ था दिखावे के लिए रायगढ़ तबादला हुआ और कुछ ही दिन में बागपत बिलासपुर से मस्तूरी आ गया वह पूर्व में सकरी में शासकीय जमीन की बंदरबांट का चर्चित अधिकारी रहा है और उसने अपने चेहरे पर बिल्डरों को दर्रीघाट में बुलाकर परोस ना प्रारंभ कर दिया है। यदि शीघ्र ही जांच में जांच नहीं हुई तो जल्द ही दर्रीघाट के नागरिक मस्तूरी कार्यालय में चरण वध आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। एडिशनल कलेक्टर ने जांच का आश्वासन दिया। 
गौरतलब है कि इसी मान बिलासपुर कलेक्टर से भी दर्रीघाट में शासकीय जमीन की चोरी की शिकायत की गई की गई थी जिस पर कलेक्टर ने संबंधित संबंधित अनुविभागीय अधिकारी को पत्र भी लिखा था पर जांच प्रारंभ नहीं हुई। ग्राम वासियों द्वारा सौपे गए ज्ञापन में स्पष्ट उल्लेख है कि 2 वर्ष पूर्व भी शिकायत की गई थी जांच टीम का गठन भी हुआ पर जांच रिपोर्ट को दबा दिया गया।