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अमर के एकाधिकार को इस बार मिलेगी सीधी चुनौती

बिलासपुर स्थानीय निकाय चुनाव, भाजपा में उभर सकती है गुटबाजी

24hnbc.com
बिलासपुर, 5 जुलाई 2024। 
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जीत के बाद बिलासपुर जिले के राजनीतिक समीकरणों में बड़ा बदलाव आया था। उसके बाद लोकसभा चुनाव भाजपा प्रत्याशी तोखन साहू का जितना साथ ही केंद्र में शहरी विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री बन जाना। प्रदेश में डिप्टी सीएम स्थानीय निकाय मंत्रालय को भी होल्ड करते हैं। इन दोनों परिस्थितियों में बिलासपुर के स्थानीय निकाय चुनाव में प्रत्याशी चयन में किसकी चलेगी पर रोचक समीकरण बना दिया। 
वर्ष 2001 के बाद बिलासपुर के स्थानीय निकाय चुनाव में बिलासपुर महापौर और पार्षद प्रत्याशी के चयन में अमर अग्रवाल के फैसले ही अंतिम होते थे। 2003 के बाद उनमें और अधिक एकाधिकार आते हुए सब ने देखा है। उमाशंकर जायसवाल, अशोक पिंगले, मंदाकिनी पिंगले, किशोर राय तक सिलसिला बगैर किसी चुनौती के चला। यहां तक की निगम सभापति और कार्यकारी महापौर विनोद सोनी उन्होंने ही चुना। 2023 विधानसभा चुनाव में अमर अग्रवाल विधायक तो बन गए पर उन्हें मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिला। 
स्थानीय निकाय विभाग की कमान अरुण साव उपमुख्यमंत्री के हाथ में हैं। सांसद बिलासपुर शहरी विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री हैं। प्रथम दृष्टि में कोई कह सकता है कि दोनों आपसी सहमति से बिलासपुर, मुंगेली जिले में महापौर और पार्षद प्रत्याशी चुनेंगे। पर ऐसा लगता नहीं हाल ही में छत्तीसगढ़ उपमुख्यमंत्री ने शहरी विकास मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री खट्टर से मुलाकात की, यह समाचार दैनिक अखबारों में खूब छापा। पर उसे मुलाकात में बिलासपुर के सांसद विभाग के राज्य मंत्री उपस्थित थे या नहीं इस पर समाचार मौन है। जिन्हें ऐसी मुलाकातों में कौन था कौन नहीं पर खूब राजनीति दिखती है वे भी दरबारी हो गए। 
बिलासपुर नगर निगम सीमा में अन्य भाजपा विधायक जैसे बिल्हा से धरमलाल कौशिक, बेलतरा से सुशांत शुक्ला, तखतपुर से धर्मजीत सिंह की राय बिलासपुर महापौर चयन के लिए कितना अर्थ रखेगी यह देखने लायक रहेगी। भारतीय जनता पार्टी को अनुशासन वाली पार्टी कहा जाता है इस बार यह अनुशासन कैसे कायम होगा और अमर गुट जो अब तक लगातार पीछड़ रहा है वह निकाय चुनाव के मैच में कैसे अपनी शाख बचाएगा, देखने लायक रहेगा।