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भाजपा आप का कहना नहीं मानती तो मैं हूं ना

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बिलासपुर, 23 सितंबर 2024। 
कल दिल्ली में आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल ने आरएसएस प्रमुख से पांच सवाल पूछे, संकेत यही है यदि भारतीय जनता पार्टी आप का कहना नहीं मानती तो सेवा में केजरीवाल और उनकी टीम हाजिर है। रस से पूछे गए पांच सवालों का लबोलबाब यही है। केजरीवाल आरएसएस का वैसा विरोध नहीं करते जैसा कि राहुल गांधी करते हैं। राहुल गांधी आरएसएस का विरोध उसके पूरे ऐतिहासिक संदर्भ में करते हैं। जबकि केजरीवाल स्वयं को कट्टर देशभक्त और कट्टर हिंदुत्व की श्रृंखला में आगे रखना चाहते हैं। वे स्वयं को आरएसएस के सामने भाजपा का विकल्प बता रहे हैं। 
2014 में अन्ना हजारे और उनके सहयोगियों ने जो आंदोलन किया था उस पर कई बार यह विश्लेषण हुआ कि उसे आंदोलन को आरएसएस का पूरा सहयोग था। 14 में केजरीवाल भ्रष्टाचार के खिलाफ और आम लोगों के हित से जुड़ी राजनीति करते थे। 19 में केजरीवाल हिंदुत्व की राजनीति करते नजर आए। दिल्ली में जगह-जगह उन्होंने सुंदरकांड का पाठ करवाया, जेल से छूटने के तुरंत बाद हनुमान मंदिर जाना भी यही संकेत देता है। 
2014 में ही आरएसएस के केएन गोविंदा आचार्य ने आम आदमी पार्टी के समर्थन की बात कही। आप पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक व्यवहार वाद की राजनीतिक करते हैं, उनकी अपनी पार्टी की कोई अपनी राजनीतिक विचारधारा नहीं है। व्यवहारवाद कभी भी अवसरवाद में बदल जाता है। बहुत सी क्षेत्रीय पार्टियां इसी तरीके से चलती है। इसलिए एक बार नहीं अनेकों बार आप को भाजपा की बी टीम कहा जाता है। लोकसभा चुनाव के दौरान केजरीवाल का इंडिया से समझौता व्यवहारवाद राजनीति का उदाहरण है। इस बार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में आप पार्टी व्यवहारवादी राजनीति के स्थान पर अवसरवादी राजनीति करते हुए देखी जा सकेगी।