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जब तक यह अदा नहीं होगी बंद नहीं मिलेगी जीत

अपने जीते हुए प्रत्याशी के खिलाफ खड़ा होना शहर कांग्रेस की अदा है

24hnbc.com
बिलासपुर, 30 जून 2024। 
अपने ही जीते हुए उम्मीदवार के खिलाफ विरोधी बनकर खड़े होना बिलासपुर शहर कांग्रेस की ऐसी अदा है जिसने बिलासपुर विधानसभा और लोकसभा के लिए भारतीय जनता पार्टी को स्थाई जीत दी। दो उदाहरण से यह पूरा इतिहास समझ आ जाता है। 
हम इस पर भी चर्चा करेंगे कि बिलासपुर में कांग्रेस का कोर वोटर कितना है और इसमें बढ़ोतरी क्यों नहीं हो पाती। अविभाजित मध्यप्रदेश की बात छोड़ दें। और 2001 से 2024 तक शहर कांग्रेस के लिए खुश होने के लिए दो पल देखें। पहला महापौर का चुनाव वाणी राव ने जीता भारतीय जनता पार्टी की महिला प्रत्याशी को हराया और संकेत दिया कि अब पार्टी के दूरदिन समाप्त हुए। वाणी राव जुझारू चार्मिंग नेत्री है चुनाव जीतते ही शहर कांग्रेस के नेता उनके विरोधी हो गए। महापौर के टिकट के बाद जब उन्हें विधानसभा प्रत्याशी बनाया गया तब उन्हें भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी से ज्यादा अपनी ही पार्टी के नेताओं का विरोध सहना पड़ा। उन्हें हार मिली और उनके खाते में 56000 वोट मिले थे। इसके बाद 2018 में शैलेश पांडे ने सब अनुमान को झूठलाते हुए बिलासपुर में अमर अग्रवाल के किले को ढा़ह दिया। सरकार भी कांग्रेस की बनी।
 पहली बार जीता हुआ विधायक भारतीय जनता पार्टी में डिप्टी सीएम बन सकता है पर वहां तो कांग्रेस है। बिलासपुर विधायक को चूसने के लिए लॉलीपॉप भी नसीब नहीं हुआ। 2023 का चुनाव शैलेश पांडे हार गए उन्हें 52000 वोट मिला। बिलासपुर में कांग्रेस के हारने वाले नेताओं में सीधा चुनाव महापौर का रामशरण यादव ने लड़ा था हर थे उन्हें 62000 वोट मिला था। इस बार लोकसभा में कांग्रेस का प्रत्याशी देवेंद्र यादव हारा उन्हें 44815 वोट मिला यह बात हम बिलासपुर विधानसभा के संदर्भ में कह रहे हैं। 
इस तरह छत्तीसगढ़ बनने के बाद शहर कांग्रेस के खाते में दो बार कांग्रेस जीती और दो बार जीते हुए प्रत्याशी के खिलाफ शहर कांग्रेस के नेता 5 साल तक संघर्ष किया। चुनाव के वक्त भीतरघात, खुलाघात किया और फिर यदि समीक्षा हुई तो नाना तरीके के तर्क गढ़ कर कमेटी के सामने मीडिया के कंधे पर बंदूक रखकर स्वयं को समर्पित कांग्रेसी बताते हैं। साथ ही साथ लोकसभा के इतिहास पर भी नजर डाल लें अब तक 18 लोकसभा चुनाव हुए 9 बार भाजपा के खाते में जीत गई कांग्रेस को आठ बार जीत मिली एक बार निर्दलीय उम्मीदवार भी जीता और एक बार भारतीय लोक दल ने चुनाव जीता। 1991 से 1996 खेलन राम जांगड़े कांग्रेस के अंतिम जीते हुए सांसद हैं। बिलासपुर में कांग्रेस की दायिनी दशा का सबसे बड़ा कारण है पार्टी के नेताओं के पास कोर वोटर को सहेज कर रखने का कोई प्लान नहीं है। दूसरा फ्लोरिंग वोटर को लाने का कोई नीति नहीं है। इस बार कांग्रेस की गांधी खड़गे जोड़ी ने पीढ़ी का अंतर हटाते हुए जिस टीम भावना से चुनाव लड़ा संविधान बचाओ, जल, जंगल, जमीन इन दोनों मुद्दों को कांग्रेसी नेता अपने वोट बैंक एससी, एसटी और ग्रामीण क्षेत्र में ले जाने में कोई मेहनत करते नहीं दिखे। उनके बाद जब 29 जून को केंद्रीय नेतृत्व की ओर से फैक्ट फाइंडिंग टीम भेजी गई तो उसके सामने कई नेताओं ने अनुशासनहीनता ही दिखाई अंदर क्या कहा नहीं पता पर बाहर कमरे के सामने कह रहे थे कि हर का कारण जेल में बंद नौकरशाह से पूछो। ऐसा कहने वाले पीसीसी के पदाधिकारी हैं इनके बारे में इनका नाम जाने बगैर जब राहुल गांधी बिलासपुर में नसबंदी कांड के बाद आए थे तो इस पार्टी के बाहर का रास्ता दिखाने को कह कर गए थे।