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बस्तर से लेकर कवर्धा तक भूपेश का दोहरा चरित्र ले डूबा कांग्रेस को

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बिलासपुर, 5 दिसंबर 2023।
पहले 3 साल की सत्ता 15 साल का वनवास अब 5 साल की सत्ता के बाद कितने साल सत्ता के बाहर रहेगी कांग्रेस यह एक ऐसा प्रश्न है जिसका उत्तर कांग्रेस ही जानती है। 2018 में भारी बहुमत से जीतने के बाद कांग्रेस हाईकमान ने छत्तीसगढ़ में अनुशासन का सौंटा चलाया ही नहीं चलाया होता तो यह दिन न देखना होता। 2001 से 2003 कांग्रेस की उसे समय की हाईकमान श्रीमती सोनिया गांधी को अजीत जोगी के अलावा छत्तीसगढ़ में कोई दिखता ही नहीं था और वही हाल 2018 में राहुल गांधी का था। उन्हें भूपेश बघेल के अलावा छत्तीसगढ़ में कोई नहीं दिखाई देता था। यदि ढाई - ढाई साल तय हुआ था तो उसे लागू करना हाईकमान की जिम्मेदारी थी। भूपेश बघेल के बारे में स्पष्ट था भ्रष्ट हैं, घमंडी है, अहंकारी हैं। तो साथ ही में मेहनती हैं, आंदोलनकारी हैं, जेल जाने से नहीं डरते हैं। कांग्रेस ने उन्हें असम में आजमाया, यूपी की जिम्मेदारी दी। दोनों स्थानों पर कांग्रेस को लाभ नहीं हुआ। ऐसे में पूरे 5 साल उन्हें छत्तीसगढ़ सौंपना उचित तो नहीं कहा जा सकता है। आदिवासी कांग्रेस का वोट बैंक है छत्तीसगढ़ की एक बहुत बड़ी आबादी साथ में विधानसभा की 29 सेट आदिवासी रिजर्व है। पर बस्तर में भूपेश बघेल ने ईसाई आदिवासी और आदिवासी दोनों के साथ उचित व्यवहार नहीं किया। ईसाई आदिवासी पीटते रहे और भूपेश देखते रहे उन्हें लगता था इनके साथ खड़ा होना हिंदू संगठनों को नाराज कर देगा। उनके इस ढुलमुल रवैया से कन्वर्टेड इसाई और ओरिजिनल आदिवासी दोनों नाराज हुए। हिंदू वोट तो कांग्रेस को कभी मिलने ही नहीं है सो नहीं मिले। एक मोटी बात भूपेश बघेल को कभी समझ नहीं आई राम वन गवन पथ से सत्ता महल प्राप्त नहीं हो सकता जिस रास्ते भगवान श्री राम महल से निकलकर जंगल गए उससे सत्ता हासिल कैसे हो सकती है। सन्यास हासिल हो सकता है, वानप्रस्थ हासिल हो सकता है। जैसी अनदेखी बस्तर में की वैसी अनदेखी कवर्धा में भी की, अच्छा खासा सभी जाति संप्रदायों का वोट जो कांग्रेस को मिल रहा था उसमें पलीता लगा दिया, लगने दिया। और यह आंच बेमेतरा तक आई।
छत्तीसगढ़ी संस्कृति से प्रेम और बाहरी कलाकारों को रूपयों की बड़ी थैली उदाहरण कुमार विश्वास को लाखों का भुगतान, स्थानीय कलाकारों को मूंगफली इससे छत्तीसगढ़ के लोगों को समझ आ गया कि मुख्यमंत्री का चरित्र दोहरा है, दिखाते कुछ हैं और करते कुछ दिखाने के लिए सौंटा कहते हैं और पालते कुमार विश्वास को है। भूपेश बघेल की राजनीति 1990 में युवा कांग्रेस से शुरू होती है मध्य प्रदेश के समय ही विधायक बन गए, मध्य प्रदेश से बंटवारे के बाद राज्य मंत्री बन गए, फिर कैबिनेट बने दिखावे के लिए वे अजीत जोगी के विरोधी हैं पर उनकी पूरी राजनीति जोगी से प्रभावित दिखाई देती है। उन्होंने हर वह गलती की जो जोगी जी करते थे। कांग्रेस में अभी ओबीसी राजनीति हावी है। भूपेश की आयु राजनीतिक दृष्टि से अभी बहुत लंबी है कांग्रेस में उन्हें कई जिम्मेदारियां मिल सकती है पर अभी तो उन्हें नेता प्रतिपक्ष पद से भी दूर रहना पड़ेगा और छत्तीसगढ़ में हार की नैतिक जवाबदारी भी स्वीकार करनी होगी। तभी वे छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के नेताओं के साथ सामंजस बैठ पाएंगे। तुरंत सक्रियता अन्य नेताओं को नहीं पहुंचेगी।