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यह हवा लखनऊ से आ रही है

बात निकली है तो, दूर तलक जाएगी

24hnbc.com 
बिलासपुर, 8 अगस्त 2025।
इस सप्ताह माननीय उच्च न्यायालय ने छत्तीसगढ़ डायोसिस बोर्ड ऑफ़ एजुकेशन के कथित पदाधिकारी नितिन लॉरेंस और जयदीप रॉबिंसन की अग्रिम जमानत याचिका पर बहस थी, वे छत्तीसगढ़ डायोसिस के अवैतनिक पदाधिकारी भी हैं। (अपंजीकृत) अग्रिम जमानत के लिए क्यों आना पड़ा क्योंकि राज्य की राजधानी के सिविल लाईन थाने में धार्मिक संस्था के इन पदाधिकारी के खिलाफ 420, 467, 468, 471, 34 के तहत एफआईआर दर्ज है। सत्र न्यायालय से अग्रिम जमानत याचिका खारिज हो चुकी थी। उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई। बहस के दौरान शिकायतकर्ता पक्ष के अधिवक्ता ने जब अपनी आपत्ति जोरदार तरीके से रखी तब चीफ जस्टिस ने कहा मुझे सब पता है। चर्चो में गुटों के बीच क्या झगड़ा चल रहा है। साथ ही उन्होंने यह भी बता दिया कि लखनऊ में भी यही सब है। 
               समाचार यहीं से प्रारंभ होता है आज ही एक दैनिक अखबार में समाचार छपा है पास्टर और मत्तांतरण करने वालों का ग्राम में प्रवेश प्रतिबंधित है, फोटो में जो नोटिस बोर्ड दिख रहा है उसमें पेशा एक्ट का उल्लंघन है। इसी माह में छत्तीसगढ़ में ही मत्तांतरण, मानव तस्करी के आरोप में दो नन गिरफ्तार हुई और काफी बवाल के बाद उन्हें बिलासपुर की एनआईए कोर्ट से जमानत मिली। चर्च के गुटों में क्या झगड़ा हैं, भ्रष्टाचार का आरोप, जमीनों की खरीदी बिक्री और करोड़ों के फंड का दुरुपयोग यहां अंडरलाइन करें कि सीडीबीई के अंतर्गत पूरे राज्य में 19 स्कूल संचालित है 13 को शासकीय अनुदान प्राप्त है। 
          एक स्कूल की जांच हुई और करोड़ों का घपला निकला जांच के तथ्य इस और भी इशारा करते हैं कि स्कूल फीस की राशि चर्च की ओर चल देती है और फिर उसका क्या उपयोग किया जा सकता ह, समझा जा सकता है। गुटीय झगड़ों के कारण नहीं बिलासपुर न्यायधानी की ऐतिहासिक धरोहर मिशन अस्पताल की जमीन राजसात हो गई। एक बार सीडब्ल्यूबीएम और डायोसिस पदाधिकारी का लॉक्स टेस्ट होने के बाद शासन ने रायपुर राजधानी का गौस मेमोरियल भी राजसात कर लिया। न्यायालय का जो फैसला मिशन अस्पताल के संबंध में आया है उसके बाद तो ईसाइयों की मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ की कोई भी संपत्ति सरकारी हो सकती है। डायोसिस के पदाधिकारी के पद उनके लॉक्स उनकी पावर ऑफ अटॉर्नी कहीं नहीं टिकती शुक्र मनाये की अग्रिम जमानत के वक्त गुटीय झगड़ा कथित पदाधिकारी के लिए अमृत बन गया और अग्रिम जमानत प्राप्त हो गई। 
ईसाई समाज के भीतर और बाहर सरकार को यह संदेश मिल गया कि किस गोद में बैठालना है उसे गोद देने की कीमत कैसे वसूलना है। बहुत सी संपत्तियां अभी भी सरकार के निशाने पर है।