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60-11 को 7-11 मानकर सुन लें, मिशन मामले में हड़बड़ाया शासन का अधिवक्ता

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बिलासपुर, 22 जनवरी 2025। 
मिशन अस्पताल डिसाइपल द्वारा स्वत्व की घोषणा के वाद में आज जिला प्रशासन नजूल अधिकारी की ओर से की गई हड़बड़ी के कारण यह प्रकरण रोचक हो गया है। आवेदक डिसाइपल की ओर से स्वत्व  की घोषणा का वाद प्रस्तुत किया गया था। शासन, नजूल अधिकारी, निगम सहित सभी पक्षकारों को नोटिस तालीम हो चुके थे। जिला प्रशासन के द्वारा मिशन परिसर में की जा रही कार्यवाही के कारण आवेदक ने स्थगन आवेदन और  नोटिस दे चुका था। नोटिस हमदस्त द्वारा दिया जा चुका था। आवश्यक पक्षकारों के अधिवक्ताओं द्वारा वकालतनामा जमा किया जा चुका था। 
आज स्थगन आदेश पर बहस शुरू होनी थी तो सबसे पहले निगम की ओर से अपने अधिवक्ता में तब्दीली की गई और नया वकालत नमक प्रस्तुत किया गया। जिस पर आवेदक वादी ने आपत्ति करते हुए कहा कि निगम के पहले अधिवक्ता ने एनओसी नहीं दिया है तो दूसरा वकालतनामा कैसे स्वीकार होगा। 
निगम की ओर से प्रस्तुत कर्मचारियों ने बताया कि प्रथम वकालत नाम वाले वकील साहब कुंभ स्नान करने गए हैं। शासन और नजूल अधिकारी की ओर से उपस्थित अधिवक्ता ने 60-11 का आवेदन प्रस्तुत किया । आवेदक के अधिवक्ता ने जवाब के लिए समय चाहा शासन के अधिवक्ता ने मौखिक रूप से 60-11 के आवेदन को 7-11 का माना जाए का निवेदन किया। इस पर आवेदक के अधिवक्ता ने आपत्ति की कहा मौखिक निवेदन स्वीकार नहीं किया जा सकता 60-11 के आवेदन को 7-11 का मानना गलत होगा। इस पर लिखित आवेदन प्रस्तुत हुआ और पहले अब 23 तारीख को न्यायालय पहले यह तय करेगा की 60-11 के आवेदन को 7-11 में सुना जा सकता है या नहीं।
शासन के अधिवक्ताओं ने वाद की पोषणीयता को जिस तरह से हड़बड़ाते हुए चुनौती दी है लगता है कि स्वत्व की घोषणा के बाद में जो बिंदु उठाए गए हैं उसका जवाब शासन के पास नहीं है। इसलिए 7-11 का निर्णय करके शासन वाद को ही खारिज करना चाहती है। जबकि डिसाइपल के पक्ष में व्यवहार न्यायालय के दो और हाई कोर्ट के एक निर्णय हैं।