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सत्ता बदली बेजा कब्जा का काम नहीं, केवल चेहरे बदले हैं

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बिलासपुर, 18 जुलाई 2024। 
शासन में निर्वाचित सरकार भले ही बदल जाए पर तौर तरीके वहीं रहते हैं। पीड़ित के हिस्से पीड़ा ही आती है। 2018 में सत्ता परिवर्तन के बाद उसे समय के राजस्व मंत्री बिलासपुर में अपने एक समर्थक के यहां आए और फिर स्थानीय प्रशासन को सीधा एक संकेत मिल गया कि किसके प्रकरणों में राजस्व अधिकारियों को कैसी भूमिका अदा करनी है। परिणाम स्वरुप व्हाइट हाउस आदिवासी के हाथ से निकलकर कुबेर पुत्र के हाथ में चला गया। इस व्यवहार परिवर्तन का समाचार हमने तब लिखा था। तत्कालीन राजस्व मंत्री ही बाद में प्रभारी मंत्री भी बन गए तब हमारे समाचार का शीर्षक था। "समस्या का अंत नहीं प्रारंभ" लोकसभा की चुनाव जीतने के बाद इन दिनों मतदाताओं का आभार व्यक्त करने के लिए जगह-जगह कार्यकर्ता सम्मेलन हो रहे हैं। इसी क्रम में जिले के आरक्षित विधानसभा क्षेत्र में भी धन्यवाद कार्यक्रम हुआ। 
जिले के नेता मंत्री महोदय का कार्यक्रम जिस स्थान पर हुआ है उसे कृषि फार्म के सामने का हिस्सा एक पूर्व मंत्री ने बेजा कब्जा करके बना रखा है इसी क्षेत्र में सत्ताधारी दल के पूर्व मंत्री का समर्थन एक निस्तारी तालाब और एक तीन एकड़ की सरकारी भूमि पर काबिज है। एसडीएम कोर्ट में प्रकरण दर्ज है पर अब यह देखने लायक होगा कि मंत्री जी के कार्यक्रम में सब कुछ देख लेने के बाद राजस्व अमला बेजा कब्जाधारीयों के खिलाफ क्या कार्यवाही करता है। क्या बेजा कब्जाधारी तीन वर्ग में बात दिए जाएंगे। पहले सत्ता पक्ष के बेजा कब्जाधारी, दूसरा विपक्ष के कब्जाधारी और तीसरा साधारण कब्जाधारी और अधिकारी बेजा कब्जाधारी के वर्गीकरण के आधार पर निर्णय लेंगे।