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स्वास्थ्य मिशन का स्लोगन आओ मिलकर खाएं पर्देदारी हमें आती

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बिलासपुर, 3 अप्रैल 2024।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन छत्तीसगढ़ का एक स्लोगन है जो दिखाई नहीं देता "आओ मिलकर खाएं" मिलाकर खाने से आशय मिशन के अंतर्गत ही है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन संचालक के हस्ताक्षर से 29 सितंबर 2017 को एक आदेश जारी हुआ आदेश में कहा गया है एतत् द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत कार्यरत निम्न विकासखंड कार्यक्रम प्रबंधक की संविदा सेवा वृद्धि 31 दिसंबर 2017 तक तीन माह की कार्य सुधार नोटिस के आधार पर की जाती है। 3 माह में कार्य सुधार परिलक्षित होने के बाद ही आगामी माह हेतु सेवा वृद्धि की जाएगी। बिलासपुर अनिल गढेवाल बिल्हा, श्रीमती मनीषा अवस्थी मस्तूरी, रायपुर राकेश कुमार वर्मा अभनपुर, सुकमा नीलेश्वर वर्मा गरियाबंद, सौरभ गिरवानी राजिम, महासमुंद रामगोपाल कोट पिथौरा यह पत्र 29 सितंबर को जारी हुआ। 10 लोगों को इसकी प्रतिलिपि दी गई जिसमें स्वास्थ्य मंत्री से लेकर संबंधित व्यक्ति तक थे इस पत्र के शब्दों से जाहिर होता है कि ब्लॉक स्तर पर पदस्थ कार्यक्रम प्रबंधक का पद पूर्णता संविदा नियुक्ति है। और समय-समय पर कार्य सुधार न होने पर नियुक्ति समाप्त हो जाती है। इस पत्र के बाद निश्चित ही संबंधित व्यक्तियों ने अपना कार्य सुधार होगा। 26 अक्टूबर 2017 राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने विकास खंड कार्यक्रम प्रबंधक के वार्षिक कार्य मूल्यांकन के आधार पर 31 मार्च 2018 तक 115 लोगों को सेवा वृद्धि दी। इस सूची में जिला स्तर पर बस्तर, बलोदा बाजार, बेमेतरा, बलरामपुर के बाद बिलासपुर का नाम आता है। इसमें पांच लोगों का नाम दर्ज है एक वीरेंद्र कुमार सिंह गौरेला, राकेश कुमार जायसवाल मरवाही, अरविंद कुमार सोनी पेंड्रा, केशव सिंह तखतपुर, श्वेता सिंह कोटा पर मस्तूरी और बिल्हा का नाम नहीं है। स्वास्थ्य मिशन के भीतर यह क्या चल रहा है आखिर पारदर्शिता भी कोई चीज होती है क्या स्वास्थ्य मिशन में ब्लॉक प्रोग्राम प्रबंधकों की नियुक्तियां इलेक्टोरल बॉन्ड की तर्ज पर चल रही है।
जानकारी प्राप्त करने पर पता चला कि मस्तूरी का कार्यक्रम प्रबंधक नौकरी छोड़कर जा चुका है। प्राप्त जानकारी के आधार पर बिल्हा कार्यक्रम प्रबंधक लगातार बिल्हा में ही, यदि उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं तो ऐसी विलक्षण प्रतिभा वाले कार्यक्रम प्रबंधक की रोशनी को तो छत्तीसगढ़ के हर जिले में भेजा जाना चाहिए आखिर ऐसी प्रतिभावान व्यक्ति की योग्यता को केवल बिल्हा तक क्यों सीमित रखा जाता है।
इतना ही नहीं बिलासपुर नूतन कॉलोनी स्थित राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का दफ्तर अनोखा है। इस दफ्तर में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की जानकारी नोटिस बोर्ड पर नहीं है। सूचना अधिकारी का नाम भी नहीं है चेंबर के बाहर अंदर बैठे व्यक्ति के बारे में कोई सूचना नहीं है किसी भी टेबल पर, कुर्सी पर कार्यरत व्यक्ति का नाम पदनाम का उल्लेख नहीं है। तभी तो लगता है कि मिशन का स्लोगन ही और मिलकर खाएं पर्देदारी हमें आती है।