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कब्रिस्तान की खरीदी बिक्री ही नहीं खाईस्ट मिशन इन इंडिया की साधारण गतिविधियां भी है संदेह के दायरे में

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समाचार :-
बिलासपुर, 2 नवंबर 2022। चर्च ऑफ खाईस्ट मिशन इन इंडिया नाम की संस्था पंजीयन 1953-54 के भीतर किस तरह का गड़बड़ चल रहा है इसका संकेत दो चीजों से लगता है। संस्था के पदाधिकारी 1982 से 2015 तक का प्रोविडेंट फंड नहीं पटाई लिहाजा 1 करोड़ 80 लाख की आधी रकम पटाने के लिए कब्रिस्तान बेच दिया। अब 2015 के बाद 2021 तक का पीएफ फिर नहीं पटा तो अब अचल संपत्ति को बेच कर प्रोविडेंट फंड पटाया जाएगा। ऐसा हो सकता था पर अब यह संभव नहीं है क्योंकि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने एक रिट पिटिशन पर स्टे जारी किया है। 
गौरतलब है कि यह संस्था चार राज्यों उड़ीसा, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में काम करती है। संस्था के पदाधिकारी कितने नियम से काम करते हैं इसका एक नमूना रजिस्टार फर्म सोसायटी सहायक पंजीयक द्वारा 23.9.2019 के संदर्भ में उन्होंने कहा संस्था के संदर्भ में प्रबंधकारिणी के पदाधिकारियों की सूची वर्ष 2010 से 2019 तक प्रदाय नहीं की जा सकती क्योंकि यह सूची है ही नहीं सहायक पंजीयक का एक अन्य पत्र 10.10.2022 क्रमांक 416/2022 मे वे संबोधित करते हैं अधिनियम की धारा 27 की जानकारी प्रमाणित सूची अभिलेख नहीं है लिहाजा प्रदान नहीं की जा सकती। संस्था के वित्तीय वर्ष अंकेक्षण रिपोर्ट उपलब्ध है नियम अनुसार प्राप्त की जा सकती है। अर्थ सीधा है समिति के सदस्य अंकेक्षण तो करा रहे हैं पर प्रबंध कारिणी के संदर्भ में मौन हैं जबकि आमतौर पर होता यह है कि संस्था धारा 27 एवं 28 पदाधिकारियों की सूची वार्षिक लेखा एक साथ देते हैं पर खाईस्ट मिशन इन इंडिया ऐसी अनोखी संस्था है जो केवल लेखा का हिसाब देती है पदाधिकारियों का नहीं। वर्ष 2021 में लगभग एक करोड़ मूल्य का जो भूमि बिलासपुर में बेचा गया उसकी बिक्री अनुमति सहायक पंजीयक से प्राप्त नहीं की गई पर 6 महीने बाद 2022 में 5% राजस्व का चालान शासन के मध्य में जमा कर दिया सीधा सा अर्थ है जब कोई वैलिड प्रबंध कारिणी है ही नहीं तो लेखा और बेची गई संपत्ति के राजस्व का 5% कौन जमा करता है। समिति के वे पदाधिकारी जो जमीन बेचने तो बाहर आते हैं पर स्वयं के पदाधिकारी होने का प्रमाण पत्र नहीं निकालते, यहां पर एक प्रश्न और निकलता है कि जिस किसी भी संस्था को देश में या विदेश से अनुदान, चंदा मिलता है उसे समय-समय पर नक्सल गतिविधियों में शामिल ना होने का प्रमाण पत्र संबंधित जिले के पुलिस अधीक्षक से जारी करवाना होता है और यहां खाईस्ट मिशन इन इंडिया के पदाधिकारी तो अलग-अलग जिलों में निवास करते हैं और यह प्रमाण पत्र कब तक जारी नहीं होता जब तक प्रबंध कारिणी की सत्य प्रति जारी नहीं कराई जाए। ऐसे में यदि नक्सल गतिविधियों में शामिल ना होने का प्रमाण पत्र जारी हुआ है तो वह उचित दस्तावेज संलग्न किए बिना जारी हो गया है। यदि जारी नहीं कराया गया है तो चंदा अपने आप में बड़ा प्रश्नचिन्ह लगाता है। क्योंकि संस्था के सचिव का निवास नारायणपुर किल्कीला जिला जसपुर है।