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छत्तीसगढ़ के अशोक चतुर्वेदी को सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत, अगली तिथि तक पुलिस न उठाएं कठोर कदम

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समाचार :-
बिलासपुर, 2 अक्टूबर 2022 । राज्य सरकार की पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में संयुक्त आयुक्त के पद पर कार्यरत अशोक चतुर्वेदी की याचिका में छत्तीसगढ़ सरकार के खिलाफ गंभीर आरोप लगा है। निजता के अधिकार का उल्लंघन, आवास पर लगातार तलाशी और निगरानी को रोकने के लिए याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से निवेदन किया है। कर्मचारी की याचिका की सुनवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूर्ण और जस्टिस हिमा कोहली की कोर्ट में हुई। कोर्ट ने कहा सूचीबद्ध होने की अगली तिथि तक पुलिस स्टेशन सिविल लाइन रायपुर में दर्ज एफ आई आर नंबर 133/2022 के अनुसरण में याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाएगा। जस्टिस ने कहा अब आपके पास हाई कोर्ट के समक्ष उपाय हैं। आप एफ आई आर रद्द करने की मांग कर रहे हैं छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के समक्ष जाएं याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट ने कहा उनका मुवक्किल पहले ही हाई कोर्ट के समक्ष 18 याचिकाएं दायर कर चुका है। अधिकांश मामलों में उसकी रक्षा की गई यह बताया गया कि छत्तीसगढ़ में वर्तमान राजनैतिक व्यवस्था द्वारा याचिकाकर्ता को केवल इस आरोप के आधार पर परेशान किया जा रहा है कि वह विपक्ष का हमदर्द है। याचिकाकर्ता ने बताया मेरी निगरानी चल रही है, मेरे घर की तलाशी चल रही है, बैंक खाता 2 साल से सीज हैह, बिना वारंट के खोजा जा रहा है। 2001 में लोक सेवक के रूप में छत्तीसगढ़ सरकार की सेवा में भर्ती हुआ वर्तमान में वह पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में संयुक्त आयुक्त के रूप में नियुक्त है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि 2018 में कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद राज्य सरकार के शीर्ष पदाधिकारियों के बीच राज्य में भगवाकरण का आरोप लगाकर याचिकाकर्ता को उनके पद से हटाने की सहमति बनी। याचिका के अनुसार राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा अपने पद से हटाने का निर्देश देने वाला नोटशीट है, इसे हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई याचिकाकर्ता का दावा है कि ऐसा होने के बाद राज्य में तुच्छ जांच शुरू की है और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत उसके खिलाफ कई एफ आई आर दर्ज किए गए हैं। याचिका में कहा गया है कि आईपीसी की धारा 504, 505 (1)( बी) , 505(2) आईटी अधिनियम की धारा 67(ए) अनैतिक व्यापार रोकथाम अधिनियम 1956 धारा 4 और 5 के तहत 2 मार्च 2022 को एफ आई आर दर्ज की गई। 26 अप्रैल 2022 को आरोप पत्र दायर किया गया जहां याचिकाकर्ता का उल्लेख नहीं किया गया है। इसके बाद उसके आवास पर अवैध रूप से तलाशी अभियान चलाया गया है, वर्तमान याचिका एडवोकेट अभिनव श्रीवास्तव फोन रिकॉर्ड के माध्यम से दायर की गई है