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निशक्त शोध संस्थान का मामला दुबारा सुनेगा हाई कोर्ट, वर्मा सहित खलखो भी कटघरे में...

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समाचार - बिलासपुर
बिलासपुर। 21 हजार करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी के मामले को उच्चतम न्यायालय ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट दुबारा डिमांड कर दिया है। इस बार उच्च न्यायालय समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों का पक्ष भी सुनेगा लगभग 1 वर्ष पूर्व एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के डीबी ने समाज कल्याण विभाग के आधा दर्जन अधिकारी तथा तीन आईएएस अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था उनके ऊपर आरोप था कि अधिकारियों ने निशक्त शोध संस्थान नाम का एक एनजीओ बनाया कथित एनजीओ में लोगों को नौकरी दी और सरकारी फंड का दुरुपयोग करते हुए बड़ी मात्रा में वित्तीय घपले किए जब उच्च न्यायालय के आदेश पर सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर ली तो एक आईएएस अधिकारी उच्चतम न्यायालय एसएलपी में गए और मामले पर स्टे प्राप्त किया। अब उच्चतम न्यायालय ने यह मामला दुबारा सुनने के लिए रिमांड कर दिया है। संचनालय के सूत्र बताते हैं कि अभी भी इस तरह के घोटाले चल रहे हैं इसी तरह का एक घोटाला केंद्र प्रवर्तित योजना घरौंदा में भी हुआ था तब एक ही योजना में 7 करोड़ रुपए का घपला किया गया बिलासपुर स्थित श्यामसुंदर तिवारी पीतांबरा पीठ और गौरेला पेंड्रा स्थित नानन कानन नाम के एनजीओ को सीधे ही करोड़ों की रकम अदा कर दी गई ""आधा तोर आधा मोर"" करने के बाद घरौंदा योजना को इन दोनों एनजीओ ने सड़क पर छोड़ दिया केंद्र सरकार ने इस संदर्भ में भी समाज कल्याण विभाग को पैसा वापस करने लिखा था किंतु 7 करोड़ की वापसी आज तक नहीं हुई । इस संदर्भ में जब कोपलवाणी नाम के एनजीओ ने आवाज उठाई तो उसे ब्लैकलिस्टेड करते हुए अनुदान से बाहर कर दिया गया ।