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यशवंत तो है मुखौटा पीछे खड़ा है पूरा विभाग, बीच शहर में चलता अवैध क्लिनिक का धंधा

24 HNBC. बिलासपुर

बिलासपुर के स्वास्थ्य विभाग के कारनामे अजब है। ग्रामीण अंचल में बिना योग्यता के चिकित्सा क्षेत्र में लाखों कमाने वाले दर्जनों हैं हमें ऐसा लगता था कि नगर निगम क्षेत्र में बिना योग्यता कोई चिकित्सीय प्रैक्टिस करें ऐसी हिम्मत नहीं होती होगी किंतु यह भ्रम लॉकडाउन ने तोड़ दिया पावर हाउस चौराहे पर एक ही बिल्डिंग पर तीन क्लीनिक के संचालित है । जिनमें से एक दंत चिकित्सक है एक होम्योपैथिक चिकित्सक है और एक पैथोलॉजी सेंटर है पैथोलॉजी सेंटर पर ही बिना योग्यता का व्यक्ति दिन भर ना केवल मरीज देखता है बल्कि उन्हें बिना झिझक इंजेक्शन भी लगाता है दवाई बेचता है । पैथोलॉजी टेस्ट करता है यहां तक के अन्य सेंटरों पर की गई जांच की रिपोर्ट भी उपलब्ध कराता है यह सब खेल आसानी से एक बीएससी पास यशवंत श्रीवास के बुते का लगता नहीं है । निश्चित तौर पर इस पूरे खेल में कहीं ना कहीं सरकारी विभाग में कार्यरत किसी न किसी की भूमिका होगी कल जब क्लीनिक पर हमने जानकारी प्राप्त की तो यशवंत श्रीवास ने बिना झिझक के डॉक्टर पंकज सिंह परते का नाम बताया और कहा कि डॉक्टर शाम को 5:00 बजे आते हैं अर्थ यह हुआ कि दिन भर मरीज जिस व्यक्ति से चिकित्सा कराते हैं उसका कोई उत्तरदायित्व नहीं है शाम को जो व्यक्ति पैसों का कलेक्शन करने आता है वह डॉक्टर है या नहीं नहीं पता अभी तो उसकी भूमिका इलाज करने वाली नहीं है पैसा कलेक्ट करने वाली हो सकती है। अपनी डिग्री बेचकर ईमान बेचना ही कहते हैं और ज्यादा जानकारी लेने पर डॉक्टर ने सीएमएचओ कार्यालय पर बताया कि उस बिल्डिंग के प्रथम फ्लोर पर मेरा क्लीनिक है और मैं सरकारी नौकरी करता हूं आपका नंबर क्यों दिया दिया गया है यह पूछने पर उसने कहा कि घबराहट के कारण उसने मेरा नंबर दे दिया होगा मेरा उस क्लीनिक से कोई लेना देना नहीं है। मैं उस भवन के प्रथम फ्लोर पर पृथक क्लीनिक चलाता हु लेकिन वर्तमान में नहीं जा पा रहा हूं। 21 तारीख को दोबारा पैथोलॉजी सेंटर पर संपर्क किया गया आज भी बीएससी पास यशवंत श्रीवास बेधड़क दवाई बांट रहा था इंजेक्शन लगा रहा था और मरीजों को एग्जामिन कर उन्हें क्या करना है कौन सी दवाई लेना है विस्तार से बता रहा था साथ ही हर पेशेंट का नाम और उस से ली गई रकम रजिस्टर में दर्ज कर रहा था जब उससे यह पूछा गया कि गलत व्यक्ति का नाम और नंबर दे कर गुमराह क्यों किया तो उसने एक नया नंबर लिख कर दिया हम इस नंबर को ना तो बताना चाहते ना डायल करना चाहते हैं क्योंकि हमें पता है यशवंत ने जो नंबर दिया है जो किसी डॉक्टर अथवा चिकित्सा क्षेत्र के नहीं है इस भवन का मालिक पूर्व में यहां पर प्रैक्टिस करता था वह पूर्ण योग्यता रखने वाला था या नहीं हमें नहीं पता लेकिन ऐसा लगता है कि उन्होंने इस सेंटर को किराए पर दे दिया है।

और उन्हें सिर्फ रोज की आवक से मतलब है शहर में इस तर्ज पर एक नहीं कई लोग काम कर रहे हैं और इस पेशे में स्वास्थ्य विभाग के सरकारी नौकर संरक्षण देने का काम करते हैं यह बात भी उजागर हुई की जिन कंधों पर ऐसी बातों को बताने की जिम्मेदारी है वे उल्टा संरक्षण देने के काम में रखते हैं कभी भी शहर में एक अवैध क्लिनिक रोज दर्जनों मरीज का इलाज करता है और किसी अखबार में उसका यह कारनामा नहीं छपता है।