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विवेक ने अपने तुच्छ लाभ के लिए दादा साहब फाल्के को भी नहीं बख्शा
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समाचार -
बिलासपुर, 23 फरवरी 2023। भारत में इन दिनों झूठ बोलो बार बार बोलो रात दिन बोलो तब तक बोलो जब तक लोग उसे झूठ को सच ना मानने लगे लंपट पूंजी पतियों की यह वह फौज है जो 2014 के बाद भारत को स्वतंत्र हुआ मानती है तभी तो द कश्मीर पाइल्स के निर्माता-निर्देशक विवेक अग्निहोत्री को दादा साहब फाल्के पुरस्कार मिल गया। असल में हमारे देश में मिलते-जुलते नामों से पुरस्कार बनवा लेना पैसे का खेल है दादा साहब फाल्के भारतीय फिल्म उद्योग में पहली बोलती फिल्म के निर्माता के रूप में जाने जाते हैं और उन्हीं के नाम पर 1969 से यह पुरस्कार मिलना शुरू हुआ यह पुरस्कार नेशनल फिल्म फेस्टिवल के साथ दिया जाता है अब तक 52 लोगों को मिला है पहली बार देविका रानी को मिला और 2020 में अंतिम भाग आशा पारेख को मिला मरणोपरांत यह पुरस्कार दो लोगों को मिला है एक नाम पृथ्वीराज कपूर और दूसरा नाम विनोद खन्ना इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के नाम से 2016 में उन लोगों ने एक कार्यक्रम चालू किया जो यह मानते हैं कि भारत 2014 में स्वतंत्र हुआ इसी तरह विवेक अग्निहोत्री अपनी फिल्म द कश्मीर फाइल्स को ऑस्कर के लिए शार्टलिस्ट बता चुके हैं असल में यह फिल्म उस समय ऑस्कर के लिए एलिजिबल हुई थी और ऑस्कर समारोह के लिए हमेशा 301 फिल्म को एलिजिबल किया जाता है अब कौन समझाए की एलिजिबल होना और शॉर्टलिस्ट होना दोनों अलग-अलग हैं पर झूठ के आडंबर पर खड़े होकर ऊंचाई को छूने की चाहत जब लंपट पूंजीपतियों को हो जाती है तो विवेक अग्निहोत्री का विवेक यदि मर जाए तो कौन सी बड़ी बात है।