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ठेले वालों के पेट पर नहीं, आम नागरिकों का सस्ता खाना छीना प्रशासन ने
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बिलासपुर, 22 मई 2025।
व्यवस्थित यातायात के नाम पर निगम प्रशासन हमारा सस्ता नास्ता और खाना गायब कर रहा है। 20 तारीख को पूरे शहर के ठेला व्यवसायी हड़ताल पर रहे कारण निगम प्रशासन ने उनके द्वारा लगाए जा रहे खेलों को 18 तारीख से पुण: बंद करा दिया। पहले दृष्टि में यह अच्छा लगता है पर गहनता से समझे जीएसटी की मार के बीच सड़क किनारे सस्ती दर पर गुपचुप, दोसा, पराठा, पूरी सब्जी, छोले भटूरे, चाऊमीन, मंचूरियन, भेल आदि केवल कोचिंग जोन वाले छात्र-छात्राएं ही नहीं खाते, खाने वालों में एम आर, एस आर, और हमारे पत्रकार बंधु भी शामिल हैं।
निजी अनुभव टटोले आपने कॉफी हाउस या मौसी जी जैसे रेस्टोरेंट में ₹100 से ₹150 का दोसा या उत्तपम कब खाया। और कितनी बार ₹20 की चार पीस इडली खा कर नाश्ते का काम लिया। सुबह 9:00 बजे तक सड़क किनारे लगने वाले ठेलों पर 10-10 मिनट गुर्जरीये माह ₹10000 पाने, सालाना 12000 की मोटी रकम देकर पढ़ने वाले विधार्थी ₹20 का इडली, ₹30 का दोसा खाकर कोचिंग जाता है। इसी तरह 15 लाख की एसयूवी में घूमने वाला भी ₹10 के चार-पांच गुपचुप खाने रुकता है। क्योंकि राजीव प्लाजा या मौसा जी की दुकान के भीतर ₹70 की पांच गुपचुप खाना वह उचित नहीं मानता पर निगम प्रशासन को इस सब से क्या फर्क पड़ता। उसने फरमान दे दिया।
शहर के किसी भी स्थान पर ठेले नहीं लगेंगे। ठेले हटाने का प्रभाव केवल चार्ट नाश्ते पर नहीं फल व्यवसाय पर भी पड़ेगा। जब फल व्यवसाय या गुपचुप व्यवसायी ₹50000 महीने का किराया देकर धंधा करेगा तो वह ₹10 में 4 से 5 नहीं एक गुपचुप भी नहीं दे सकता। वैकल्पिक सामग्री दिए बगैर उपलब्ध सामग्री छीन लेना इस सरकार की पुरानी आदत है। एक उदाहरण मात्र से यह सिद्ध होता है। मेड इन चाइना मोबाइल जो 10000 से काम के थे को बाजार के भीतर बंद कराया पर विकल्प नहीं दिया और लाखों नागरिक परेशान हुए।