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भाजपा आई सत्ता में पुराने जमीन दलाल हुए दोबारा सक्रिय
- By 24hnbc --
- Friday, 23 Feb, 2024
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बिलासपुर, 23 फरवरी 2024।
पैतृक संपत्ति को लेकर विवाद किस परिवार में नहीं होते पर नजूल सीट नंबर 26, वार्ड नंबर 24, प्लाट नंबर 52 जिसका नाप लगभग 10000 स्क्वायर फीट से कुछ ज्यादा है। में इन दोनों एक जमीन दलाल संपत्ति के कुछ हिस्सेदारों के साथ दूर्भीसंधि करके संपत्ति के ही एक हिस्सेदारी को इसलिए बदनाम कर रहा है क्योंकि इस प्रतिष्ठित हिस्सेदार जिसका राजनीतिक रसूख भी है। ने अपने हिस्से की संपत्ति इस जमीन दलाल को नहीं बेची। पूरे मामले में यह जमीन दलाल सीधे इस प्लाट के विवाद में कभी नहीं पड़ता उसने एक चटर्जी नाम के व्यक्ति को अपना मुखौटा बनाया है। कागजों में पूरा लेनदेन चटर्जी ही कर रहा है पर इसके पीछे एक सीए की भूमिका बताई जाती है।
बिलासपुर जिले के बहुत से सरकारी अधिकारी, नेताओं का दो नंबर का पैसा इसी सीए के पास होना बताया जाता है। यह पूरा ग्रुप तभी जमीनों का काम करता है जब कांग्रेस की सरकार नहीं होती इस ग्रुप की दूसरी विशेषता यह है कि यह ग्रुप अधिकतर विधवा महिलाओं की संपत्ति ही करे करता है।
गौड़पारा बिलासपुर का पुराना मोहल्ला है और एक समय में इस मोहल्ले का राजनीतिक इकबाल बहुत ऊंचा होता था। चर्चा इसी मोहल्ले में निवास करने वाले मध्य प्रदेश शासन के मंत्री अशोक राव की हो रही है। एक समय मंत्री महोदय के इस आवास पर बड़े दिग्गज नेताओं का आना-जाना लगा रहता था। इन दिग्गज नेताओं में बीसी शुक्ला से लेकर प्रकाश चंद्र सेठी, अजीत जोगी, गुलाम नबी आजाद तक शामिल हैं।
मध्य प्रदेश शासन के वक्त ही इस संपत्ति पर कोर्ट कचहरी प्रारंभ हो गई थी। ई रमिंद्र राव ने सबसे पहले न्यायालय की शरण ली और न्यायालय ने उनके पक्ष में निषेधाज्ञा जारी की, बाद में अशोक राव जी का देहावसान हो गया तब उनकी पत्नी इस प्रकरण में पक्ष कर बनी इस संपत्ति के कुछ हिस्सेदारी आंध्र प्रदेश में भी निवास करते हैं। वर्ष 2014 में उभय पक्षों के बीच समझौता हुआ और लोक अदालत से एक डिक्री जारी हुई। डिक्री के आधार पर ही नजूल न्यायालय ने रिकॉर्ड दुरुस्तीकरण किया। इस बीच इस प्लाट को कस्तूरी राव ने बचने का अनुबंध कर डाला।
बगैर सभी पक्षकारों के सहमति के संयुक्त संपत्ति को अपनी मर्जी से अपना हिस्सा बेच देना उनकी पुरानी आदत है। उदाहरण के लिए लिंक रोड स्थित पेट्रोल पंप जिसके लीज एग्रीमेंट में ही पेट्रोलियम कंपनी को क्रय करने में प्राथमिकता देंगे का क्लोज होने के बावजूद भू स्वामी ई कस्तूरी राव ने पेट्रोल पंप की जमीन एक जमीन क्रेता ग्रुप को बेची थी। वह डिल भी लंबे समय तक विवादित रही आखिरकार राजनीतिक रूप से दमदार उसे ग्रुप ने पेट्रोल पंप का संचालन नहीं किया और शहर की एक बड़ी जन सुविधा बंद हो गई।
गौड़पारा के प्लाट का अनुबंध 2018 का है और इस अनुबंध पत्र पर कहीं भी ई रमिंद्र राव का कोई हस्ताक्षर नहीं है । उन्हें कोई प्रतिफल भी नहीं मिला बताया जाता है यदि प्रतिफल मिला होता तो अनुबंध पत्र पर हस्ताक्षर होते।
गौरतलब है कि यह वही वर्ष है जब छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी सत्ता से बाहर हो गई थी लिहाजा जमीन खरीदने वाला पक्ष शांत बैठा रहा जमीन बेचने वाला पक्ष भी सत्ता बदलने का इंतजार करता रहा अन्यथा इकरारनामे के अनुपालन के लिए दोनों में से कोई एक तो न्यायालय की शरण में जाता अभी भी विक्रेता पक्ष आवेदन ने क्रेता पक्ष के साथ दुर्भीसंधि करते हुए एक वाद न्यायालय में प्रस्तुत किया है जिसकी प्रथम सुनवाई 26 फरवरी को है। इस दिन यह पता चल सकेगा की छत्तीसगढ़ के बाहर रहने वाले पक्षकारों को नोटिस यदि जारी हुआ है तो उनमें से इस पेशी तारीख को कौन-कौन उपस्थित होता है।
संपत्ति संबंधी विवादों में हाल आसानी से नहीं निकलता और यह एक ऐसे इकरारनामे में पर विवाद है जो कलातित हो चुका है। संपत्ति पर भौतिक रूप से कस्तूरी राव स्वयं काबिज नहीं है यही कारण है कि वह पेशी के पूर्व भौतिक रूप से अपना कब्जा प्रदर्शित करना चाह रहे हैं। और स्वयं को बेचारी बेवा के रूप में स्थापित कर रही है। जबकि जानकारी लोगों को यह पता है कि कस्तूरी राव के सभी दामाद भारतीय प्रशासनिक सेवा में अधिकारी रहे और बड़ा प्रशासनिक रसूक रखते रहे। तभी तो लिंक रोड की संपत्ति का नामांतरण मात्र 7 दिन में हो गया था।