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संतोष चार थानों को खिला पिला कर रखता है खुश, पलायन का मीठा सच

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समाचार -
बिलासपुर, दिसंबर 1। 
 
बिलासपुर जिले के मस्तूरी ब्लाक की विशिष्ट पहचान पलायन और ऊपर से श्रमिक ठेकेदारों की गुंडागर्दी। जिस ब्लॉक में कोविड के समय 37000 मजदूरों ने वापसी की वहां से मात्र 31 लेबर ठेकेदार पंजीकृत हैं जबकि मस्तूरी क्षेत्र में एक सौ से अधिक लेबर ठेकेदार काम करते हैं उन्हीं में से एक संतोष जो श्रमिकों को काम दिलाने के लिए लंबा-लंबा यात्रा कर रहा है। रहता बिलासपुर में हैं और दावा करता है कि तोरबा, मस्तूरी, बिल्हा, पचपेड़ी थानों को बंधी रकम दी जाती है इसलिए हमारे खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती. .... जानकारी लेने वाले को संतोष बेरोजगार बेचारा पत्रकार जैसे शब्दों से संबोधित भी करता है और कहता है कि हल्ला मत करो कुछ खाने पीने का खर्चा दे दूंगा हर थाने में देता हूं नाश्ता पानी से सब हल हो जाता है। 
हमने कमपोजिट भवन स्थित सहायक श्रम आयुक्त से इस संदर्भ में चर्चा की उन्होंने बताया कि जिले में कोविड के समय कुल 64000 श्रमिक जिले भर में वापस आए। इसमें से 35000 श्रमिक मस्तूरी ब्लाक के निवासी थे, उन्होंने यह भी बताया कि हमारे विकास में केवल 31 श्रमिक ठेकेदारों ने अपने पंजीयन का नवीनीकरण कराया है कोई भी श्रमिक ठेकेदार जब श्रमिकों को अन्य राज्य लेकर जाता है तो उसके पास मुख्य नियोक्ता के द्वारा नियम 7, 3 के तहत एक फॉर्म भरा हुआ होना चाहिए जिसमें नियोक्ता न्यूनतम वेज एवं अन्य श्रमिक कानूनों को मानने का आश्वासन देता है इसी में यह दर्ज होता है कि जिस श्रमिकों को लेकर जाया जा रहा है उसका नाम, पिता का नाम, उम्र, मोबाइल नंबर, पूर्ण पता, आधार क्रमांक और हस्ताक्षर इस तरह देखा जाए तो कोई भी श्रमिक जो अन्य राज्य में काम करने जाता है वह कहां जा रहा है किसके पास काम कर रहा है या पहले से ही तय हो जाता है पर यह लिखित सच्चाई नहीं है। जिले से काम के लिए जाने वाले लोग पहले से पंजीकृत होते ही नहीं हैं। उल्टा हुई पूछताछ में यह बताते हैं कि वह तो काम की तलाश में जा रहे हैं। इतना ही नहीं जो लोग किसी अन्य स्थान पर काम करने जाते हैं तो प्रवास पर जाने वाले गांव के सरपंच से भी प्रमाण पत्र लिया जाता है यह दोनों प्रमाण पत्र पूर्व निर्धारित भाषा में हैं। पर यह सब केवल कागजी मामला है जिन लेवर ठेकेदारों ने पंजीयन कराया है उसमें 12 पंजीयन मस्तूरी से है बिल्हा से तीन हैं इसका सीधा अर्थ है कि बिलासपुर जिले में श्रमिक ठेकेदार केवल मस्तूरी और बिल्हा में ही काम करते हैं सर्वाधिक श्रमिक पलायन मस्तूरी से होता है । मस्तूरी से पलायन कर के काम के लिए गुजरात, महाराष्ट्र, जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश, अमृतसर जाने वाले श्रमिक मस्तूरी क्षेत्र के नेताओं के लिए वोट बैंक है। और निश्चित ही इस काम को राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है यह संरक्षण विपक्ष और सत्ता दोनों तरफ से है। इसी बीच सरकार ने रोजगार सहायक या श्रमिक मित्र का पंजीयन भी कराया बिलासपुर जिले में कुल 80 श्रमिक मित्र बनाए जाने थे 15 बने हैं और यह 15 भी सरकार की कल्याणकारी नीतियों का लाभ श्रमिकों को न देकर श्रमिक ठेकेदारों के पक्ष में दलाली करने लगे हैं। श्रमिकों का रोज का पलायन रेलवे स्टेशन के अतिरिक्त मस्तूरी मुख्य मार्ग जोंधरा, खोन्धरा के अतिरिक्त बिल्हा मोड पर देखा जा सकता है।