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गेहूं के बाद अब चावल का संकट, आपदा में और खोजो अवसर
- By 24hnbc --
- Friday, 09 Sep, 2022
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समाचार - बिलासपुर
बिलासपुर, 10 सितंबर 2022।
मोदी की गलत प्राथमिकताओं के चलते हमारे देश की अर्थव्यवस्था बर्बादी की स्थिति में नहीं हम भयावह स्थिति में पहुंच गए। कोविड जैसे संकट काल में निर्यात से हम बचे और आयात निर्यात के खेल में अब हम रोज पिट रहे हैं । केवल अगस्त माह में हमारा निर्यात 33 बिलियन डॉलर रुपए में 266000 करोड़ था जबकि आयात 61.68 बिलियन डालर था व्यापार घाटा, 9 लाख 94 हजार करोड़, 2021 में व्यापार घाटा 45 लाख करोड़ का था। 1 माह के व्यापार घाटे को जोडते जाएंगे तो यह व्यापार घाटा 200 बिलियन डॉलर के ऊपर जाएगा । आप नेशनल हाईवे पर उतरने वाला फाइटर जेट्स देखत रहे सेंट्रल विस्टा देखते रहे, कर्तव्य पथ का उद्घाटन देखते रहे और हंगर इंडेक्स में अपना नंबर न देखें 101 पर हैं। हमारे रिकॉर्ड मे 23 करोड़ बीपीएल बढ़ गए। अरबपति की संख्या 100 से 140 हो गई मतलब 40 अरबपति बढ़ाने के लिए 23 करोड़ की जान दांव पर लगा दी। आज प्रधानमंत्री का यह दावा कि हम दुनिया का पेट भरेंगे 2 महीने में ध्वस्त हो गया। गेहूं उसके बाद आटा और और अब चावल के निर्यात पर रोक लग गई कल्पना करें चावल के निर्यात से जिस व्यापारी को 50000 करोड़ की कमाई होती थी वह इस कमाई को किससे वसूले का तभी तो भाजपा को व्यापारियों की पार्टी कहा जाता है। देश में 6 सामान होने पर सब कुछ चलता है गेहूं, चावल, आलू, प्याज, नमक, तेल, लकड़ी और पानी गेहूं चावल का उत्पादन लगातार घटा है तेल ने अपना खेल दिखा ही दिया है आने वाला समय बड़ा कठिन है चावल का रकवा 6 से 8% घटा है। उत्पादन 10 से 15% घटे का आपदा में अवसर खोजने वाले को इंसान इंसान नहीं कहा जा सकता अब जब आपदा आपके घर पर लगेगी तो अवसर कहां से खोजेंगे। किसानी प्रभावित हो गई पश्चिम बंगाल में 42 लाख किसान परिवार हैं। उत्तर प्रदेश में सवा दो करोड़, पंजाब में 20 लाख, तमिलनाडु 42 लाख, आंध्र प्रदेश 55 लाख, छत्तीसगढ़ 35 लाख, बिहार 73 लाख, उड़ीसा 31 लाख, असम 25 लाख, हरियाणा 17 लाख कुल मिलाकर भारत देश का 8 करोड़ किसान परिवार प्रभावित होगा। खेती में प्रतिदिन ₹126 की कमाई हो रही है और मजदूरी से किसान को ₹135 प्राप्त हो रहा है कल्पना करें किसान किस्स तेजी से मजदूर बनने की दिशा में आगे बढ़ा है। आने वाला समय जब चकाचौंध से आम आदमी बाहर निकलेगा तब उसे पता चलेगा की कमाई के अवसर कितने कम हैं। देश की 31.9 फ़ीसदी जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे है और सरकार 2011-12 के बाद से इसके आंकड़े जारी नहीं करती, आपको तो 80-20 दिखाई देता है।