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खड़ाऊ से खाली कुर्सी, भारत में परिपक्व हो रहा लोकतंत्र
- By 24hnbc --
- Tuesday, 24 Sep, 2024
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बिलासपुर, 25 सितंबर 2024।
अब क्या कट्टरता खड़ाऊ तक जाएगी, दिल्ली राज्य की अति उच्च शिक्षित मुख्यमंत्री ने दिखा दिया कि वे कई महीनो में पुराण पंथी है। हमारे देश को राजतंत्र से निकले कई साल हो गए। 47 में कोई नेता आतिशी जैसा शासन करता तो समझा जा सकता था कि देश में परंपराएं ऐसा करने रहती है। 2024 में एक राज्य की मुख्यमंत्री पूर्व मुख्यमंत्री की कुर्सी को अपने साइड में रखकर कामकाज करें स्वयं ही अपने कमरे से खाली कुर्सी का विज्ञापन करें तो यह समझ जाएगा की अमृत काल में नाटककारों की फौज हैं।
बढ़ती ही जा रही है नई लोकसभा में जिस तरह प्रधानमंत्री ने सिंगोल रखकर नाटक किया वह भी भारतीय लोकतंत्र का मजाक उड़ाने वाला इवेंट है। आप पार्टी स्वयं को पढ़े लिखो की पार्टी बोलती है पर आतिशी का कुर्सी कांड बताता है कि लोकतंत्र की जड़ें आप पार्टी में बेहद कच्ची है क्वॉड देश की सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति ने जिस तरह भारत के प्रधानमंत्री के सामने भारत देश की जो हंसी उड़ाई उसके पीछे यह खड़ाऊ प्रथा ही है।
भारत के इतिहास में धार्मिक किताब रामचरित्र मानस में भी अयोध्या के राजा श्री राम की खड़ाऊ को रखकर 14 साल तक राज काज चलाने वाले भरत की कहानी है और हमें तो उसकी आदत है सो शिवाजी जैसे महाप्रतापी राजा का राज काज चलाने का तरीका गुरु और माता उनकी कैबिनेट थी। जब कभी कोई विदेशी डेलीगेशन दिल्ली में मुख्यमंत्री से मिलने जाएगा तो एक कुर्सी पर सीएम और बाजू की कुर्सी सीएम पद के असली अधिकारी आतिशी के अनुसार खाली होगी। वे क्या संदेश लेकर जाएंगे इसी तरह कई राज्य जहां डबल इंजन की सरकार है उन पर भी रिमोट दिल्ली में होने का आरोप लगता है। भोपाल का पुराना किस्सा है एक समय के मुख्यमंत्री स्वर्ग के मोतीलाल वोरा अपनी कुर्सी पर आगे की ओर फेस कर कर बैठते थे, लगता था कभी भी उठने कहा जा सकता है। इस विषय पर तो कार्टून भी बनते थे। खड़ाऊ खाली कुर्सी भारत के लोकतंत्र के अपरिपक्व होने की निशानी है।