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रोड शो ने बढ़ा दी लोफंदी मौतों की संख्या

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बिलासपुर, 10 फरवरी 2025।
 बिलासपुर जिला मुख्यालय से कुछ ही किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत लोफंदी में अवैध दारू पीने से मौतों के मामले ने यह समझा दिया कि ऐसे हादसों को व्यावसायिक रूप से हैंडल करने के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह प्रशिक्षित है। 
मुख्यमंत्री के रोड शो के दिन ही इस हादसे की खबर लग चुकी थी पर चल रहे चुनाव के कारण प्रशासनिक मशीनरी के मुख्य पार्ट्स ने उसे दिन भाग दौड़ नहीं की अन्यथा शराब से मौत की खबर नंबर वन होती और मुख्यमंत्री का रोड शो किनारे होता.....। 
उसी दिन 3 मरे थे 8 घंटे की देरी ने इस संख्या को 7 और वहां के नागरिकों की माने तो वह संख्या 9 है। हादसे में मौत की संख्या कम कर लेना, पार्थिव शरीर को गायब कर देने में बिलासपुर जिला प्रशासन पारंगत है। नसबंदी कांड में यह दक्षता प्राप्त कर ली गई थी। उसे समय तो अंतरराष्ट्रीय मीडिया भी बिलासपुर में था। इस बार तो शराब हादसे का प्रकरण स्थानीय मीडिया ने ही कवर किया और स्थानीय मीडिया अभी चुनावी चकल्लस और उससे होने वाली लाभ हानि में व्यस्त है। 
जब कभी भी सुशासन में कलेक्टर, एसपी कॉन्फ्रेंस हुई शराब बिक्री पर शख्ति की बात प्राथमिक रही है। उसके बावजूद पड़ोसी बड़े भाई के प्रदेश से खूब तस्करी होती है। बिलासपुर जिले के दर्जनों गांव जो हर ब्लॉक में फैले हुए हैं। शराब का समानांतर बिजनेस चलता है पंचपेढी हो या सीपत शराब माफिया स्थानीय थानों और मीडिया के कुछ दलालों को उत्कृष्ट करके खूब पैसा कमाते हैं। जातिवाद की पोस्टिंग में इस धंधे को नए आयाम दिए हैं। हम पूरे भरोसे के साथ दिया कह रहे हैं अवैध शराब के धंधे में लिप्त अभियुक्त के नाम संबंध थाने में पदस्थ स्टाफ के नाम की सूची रख ली जाए और तुलना कर ली जाए। 
आबकारी महकमा अपनी छोटी सी कार्यवाही पर माननीय जिला कलेक्टर के निर्देश पर हुई बताता है जब कार्यवाही नहीं करता तो उसे किसके निर्देश पर कहा जाए। ऑपरेशन प्रहार की खबर जो जोर शोर से प्रकाशित होती है अवैध धंधे से धनाढ्य बने अभिव्यक्तो की संपत्ति जप्त होती है। भय होना चाहिए पर बेरोजगारी इतनी भीषण है कि कमाई का शॉर्टकट फिर भी अच्छा लगता है। अभियुक्तों की संपत्ति सीज हो गई पर उन अभियुक्तों ने सिस्टम के लोगों को जो चढ़ोत्तरी दी थी उन पर कार्यवाही कब होगी हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि कुछ गांव का अवैध दारू का धंधा तो दो विभाग की देखरेख में ही होता है। करने वाला छोड़ना भी चाहे तो नहीं छोड़ सकता।