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सड़क पर जान बचाने दौड़े एसडीएम, क्या यही है सुशासन
- By 24hnbc --
- Sunday, 13 Oct, 2024
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बिलासपुर, 14 अक्टूबर 2024।
यह मामला जंगल के अंदर पुलिस नक्सली मुठभेड़ का नहीं है। यहां आम जनता ही किसी मामले को लेकर इतनी उग्र हो जाती है कि उसे ऐसा लगता है कि अब न्याय और व्यवस्था दोनों हम संभालेंगे और हम ही संभालेंगे। एक समय छत्तीसगढ़ जिसे छत्तीसगढ़िया सबसे बढ़िया कहा जाता था। उसमें देखते-देखते वे सब बुराइयां घर कर गई जो मणिपुर, बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में आम पाई जाती है।
सूरजपुर की घटना जिसमें एसडीएम को उग्र भीड़ के सामने भागना पड़ा, यही बताती है। पुलिस हेड कांस्टेबल के परिवार के सदस्यों की जान चली गई तो फिर कौन सुरक्षित है। जिस पर आरोप लग रहे हैं वह किसी भी राजनीतिक दल का सदस्य हो, प्रश्न यह उठता है कि व्यवस्था और भीड़ को संभालने की जिम्मेदारी जिन पर है क्या वे प्रशिक्षित ही नहीं है। बलौदाबाजार, कवर्धा और अब सूरजपुर यही संकेत जाता है।
सड़क पर हिंसा, जेल के भीतर हिंसा खबर आ रही है की बिलासपुर सेंट्रल जेल के भीतर भी कैदियों के बीच झगड़े बढ़ रहे हैं। जेल के खर्च कैदियों की खुराक पर खर्च किए जा रहे समान लाखों के अंडे, हजारों लीटर दूध, प्याज, लहसुन, हरी सब्जियां, सोयाबीन या तो सच में खिलाई जा रही है या जेल के भीतर भ्रष्टाचार इस तरह व्याप्त हो गया है की जेल में अनुशासन बनी ही नहीं पा रहा है। तो अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे न्यायालय परिसर में हथियार चला सकते हैं। जेल के भीतर मारपीट कर सकते हैं। सड़क पर एसडीएम को दौड़ा सकते हैं और थाने के भीतर बाहर कहीं भी पुलिस से उलझ सकते हैं। ऐसे में विपक्ष यदि मुख्यमंत्री और गृहमंत्री का इस्तीफा मांगती है तो यह उसका लोकतांत्रिक अधिकार है। केवल विष्णु का सुशासन विकास हो रहा है साय-साय के विज्ञापन चलने से काम नहीं चलेगा। विज्ञापन के अतिरिक्त आम जनता के सामने सच्चाई भी वही होना चाहिए जिस विज्ञापन के पीछे आम जनता के टैक्स का करोड़ों रुपया खर्च हो रहा है।