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अहिंसा से स्वच्छता की ओर
- By 24hnbc --
- Tuesday, 24 Sep, 2024
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बिलासपुर ट्रैफिक पुलिस की प्रशासन सेवा में बहुत सी जन उपयोगी बातें कहीं जाती है। एक ट्रैफिक सिग्नल पर एक जिंगल सुनने मिला जिसमें स्वच्छता परमो धर्म: का गान है। तुरंत लगा कि असल श्लोक अहिंसा परमो धर्म: था। और इसका उपयोग भारतीय दर्शन तथा धर्म शास्त्रों में जैन संप्रदाय के द्वारा हुआ है। बाद में इस आदर्श वाक्य को महात्मा गांधी ने अपने स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के लिए अपनाया। जो व्यवस्था गांधी के संपूर्ण दर्शन को छोड़ चश्मा के प्रतीक चिन्ह को पकड़ ले वे तो अहिंसा परमो धर्म: की जगह स्वच्छता को ही परम धर्म कहेंगे।
देश में इन दोनों जिस तरह आम जीवन में हिंसा को स्थान मिल रहा है फिर चाहे वह हिंसा सत्ता द्वारा किया जाए या सशक्त व्यक्तियों द्वारा, कमजोर पर की जाए स्पष्ट है। वर्तमान कार्णधारों के लिए अहिंसा गोढ़ हो जाती है और दिखावटी स्वच्छता परम धर्म हो गई। अंदर का मन, आत्मा, वचन, कर्म सब कुछ हिंसात्मक रहे पर गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल और अब तो स्वच्छता ने धर्म का रूप ले लिया।