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हमने बनाया है हम ही सवारेंगे , गांव से शहर तक कहीं कोई नहीं सुरक्षित

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बिलासपुर, 14 मार्च 2024।
हमने बनाया हम ही सवारेंगे इस वाक्य में थोड़े से सुधार की जरूरत है। हमने बनाया हम सब भुगतेंगे। इन लाइनों को पढ़ें और इनके बीच लिखी हुई सच्चाई को समझें वह सच्चाई और वे शब्द जो दिखाई नहीं दे रहे हैं चलिए पूरी बात समझते हैं।
बिलासपुर 14 मार्च शहर में प्रकाशित सभी दैनिक अखबारों में एक खबर छपी है घर में घुसकर महिला को पीटा, किया गैंग रेप, आरोपी गिरफ्तार यह शर्मनाक घटना शहर के भीतर थाना सिविल लाइन क्षेत्र 4 मार्च की है जो लिखा है उसे पता चलता है 4 मार्च की रात लगभग 3:00 बजे महिला अपने कमरे में सो रही थी इस दौरान बालकनी के रास्ते तीन युवक प्रवेश कर गए महिला को जमकर पीटा, हत्या की नीयत से गला दबाया और बाकी कुछ कहने से लाभ नहीं है। मुद्दे की बात तीन युवक बालकनी से कूद कर कमरे में घुस जाते हैं मतलब घर कम से कम प्रथम फ्लोर पर है। पहले और अभी भी ग्रामीण क्षेत्र से ऐसे समाचार आते हैं कि पीड़ित घर से शौच के लिए बाड़ी में गई थी और शर्मनाक घटना हो गई। शहर में तो एक कदम आगे बढ़ गए आरोपी बालकनी के रास्ते घुसे चोरी भी की, मारपीट भी की और शर्मनाक कृत भी कर डाला। महिलाएं अपने ही घर में सुरक्षित नहीं है। बिलासपुर सिविल लाइन थाना क्षेत्र की यह घटना बताती है कि हम किस तरह की समाज का निर्माण कर रहे हैं। और न्याय के नाम पर कैसा बुलडोजर चला रहे हैं बहुत बदलाव हुआ तो अपराधियों को एनकाउंटर में भले ही वह फर्जी हो गोली मार देंगे। पब्लिक गोली मारने वाले पुलिसकर्मी/अधिकारी/अपराधी पर फूल बरसाएगी याद रखें हमने बनाया है हम ही सवारेंगे, हमने क्या बनाया है घटनाएं, अपराध आईना है। वह बताती है कि हमने क्या बनाया इसके बाद सवारने का तरीका बुलडोजर, फर्जी एनकाउंटर पहले कोढ़ फिर संवारने के नाम पर खाज हम एक से ज्यादा बार कहते हैं शिक्षा बाजारीकरण के कारण ऐसे विषय जो मानव स्वभाव, चरित्र, फिनामीना, नोमीना, सिनेरियो का अध्ययन करने वाले थे मनोविज्ञान, दर्शन, नीति, धर्म दर्शन, राजनीति का दर्शन ध्यान दे एंटायर पॉलीटिकल साइंस की डिग्री को बंद कर दिया। उसके बाद विचार विमर्श को पटरी से उधार दिया जहां कानून बनता है वाहन कानून बनाने वाले जैसे भी पहुंच रहे हैं जो भी पहुंच रहे हैं उनमें से प्रत्येक उसे व्यक्ति का मुंह बंद किया जो सहमति का और बोलता है। नहीं माना तो निलंबित कर दिया और अब तो इस लाइन का अर्थ समझ आया होगा हमने बनाया है हमें ही भुगतना है। अब अंधेरे के बाद और अंधेरा है इस लाइन को भी दुरुस्त कर ले तमसो मा ज्योतिर्गमय हम अंधेरे से प्रकाश की ओर नहीं तम से घोर तम की ओर जा रहे हैं। अंधकार से घोर अंधकार की ओर जा रहे रहे हैं। दंड का नाम बदलकर न्याय कर देने से कुछ नहीं होने वाला है।