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नई भाजपा पुराने से बेहतर बकौल अमित जोगी

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बिलासपुर, 7 फरवरी 2024।
6 फरवरी 2024 के हरिभूमि अंक में पृष्ठ नंबर 2 पर अमित जोगी का एक लेख प्रकाशित हुआ है। परंपरा अनुसार लेख के आखरी में लिखा है लेखक के यह अपने विचार हैं। क्योंकि प्रशासन उपरांत अपने विचार भी सार्वजनिक हो जाते हैं। इसलिए ऊपर पब्लिक डोमेन पर चर्चा होती है होना ही चाहिए नहीं हुई तो अर्थ यह निकाला जाता है कि लेखक को किसी ने पढ़ा ही नहीं पढ़ा तो विचार करने योग्य नहीं समझा। तभी तो प्रतिक्रिया नहीं आई अपने लेख में अमित जोगी का पूरा लब्बोलबाब इस बात पर है कि वर्तमान में नरेंद्र मोदी राजनीति से राष्ट्रवाद तक के विहंगम दृश्य के रचयिता है।
2014 के बाद से इस बिरादरी की संख्या में अद्भुत तेजी आई है। ऐसी तेजी आर्थिक क्षेत्र में करोड़पति से अरबपति बनने वालों की संख्या में भी नहीं आई। गोदी मीडिया के साथ-साथ भक्तों की जमात बढ़ीं। उसी क्रम में अमित जोगी के लेख को गिना जा सकता है। 2014 से 2024 आस्था क्रमशः बढ़ती गई आदरणीय अजीत योगी के देहावसान के बाद तो आस्था तेजी से बढ़ीं लेख में भूमंडल के वैज्ञानिक न्याय शास्त्र की जानकारी के साथ फैडिक नीत्शे वगैरा का जिक्र है। अपने लेख में उन्होंने जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गांधी, सम्राट अशोक के कालखंडों का भी जिक्र किया है। मुगल बादशाह अकबर के जिक्र के बिना भारतीय जनता पार्टी का मक्खन लेख पूरा नहीं हो सकता था सो है।
लोकसभा चुनाव के पूर्व अपने विचारों को सार्वजनिक करने की जरूरत क्यों आन पड़ी यह जरूरी प्रश्न है उत्तर सहज है। एक जो बचपन से श्रेष्ठी वर्ग का हिस्सा रहा, एक नवोदित राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री का बेटा रहा, राज्य की विधानसभा का युवा विधायक बना और धीरे-धीरे सब कुछ गायब होता चला गया। ऐसे में वापस कुछ पाने की छटपटाहट के कारण बौद्धिक मिनाशा ऐसे लेख रच देती है।
कांग्रेस पार्टी से निकल जाने, निकाले जाने के बाद अजीत जोगी जी काफी दिनों तक छत्तीसगढ़ के क्षेत्रीय राजनीतिक दल के समर्थक रहे। उनका मानना था कि छोटे राज्य की बातों को राष्ट्रीय मंच पर रखने और उन पर दबाव बनाने के लिए क्षेत्रीय राजनीतिक दल जरूरी है। पिता के विचारों से पुत्र के विचार अलग हो सकते हैं पर अलग होने का कारण अवसरवादी राजनीति नहीं होना चाहिए। 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र सब जगह की राजनीतिक यात्रा के बाद छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जे के बचे खुचे नेताओं ने यह निर्णय लिया कि चुनाव अकेले लड़ेंगे किस मदद देने के लिए अकेले लड़ेंगे। यह स्पष्ट दिखाई दे रहा था राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन गई कांग्रेस की हार में छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जे की कोई भूमिका नजर नहीं आती परिणाम के बाद अमित जोगी केंद्रीय गृहमंत्री से मिल आए बधाई दे आए अखबारों में सुनियोजित तरीके से खबर छप गई जिन्हें पढ़वाई जानी थी उन्होंने पढ़ी होगी तदुपरांत कुछ समाचार पत्रों में विलय की खबरें बगैर संदर्भ की लग रही है, संभावित लोकसभा प्रत्याशी भी बताया जा रहा है। इन सब के बीच छत्तीसगढ़ की जल, जंगल, जमीन आदिवासियों के अस्तित्व की चिंता विहंगम राष्ट्रवाद के बीच कहीं दिखाई नहीं देती।