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राम तो आ गए मर्यादा कहां छूट गई

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बिलासपुर, 4 फरवरी 2024।
हमने जो रामायण पढ़ी हमें जो रामायण बताई गई उससे हमें यह समझ आता है कि प्रभु श्री राम और मर्यादा दोनों सिक्के के एक ही पहलू है। पर 22 जनवरी 2024 के दिन अयोध्या में जो इवेंट हुआ उसके बाद प्रभु राम और मर्यादा ये अलग-अलग हैं। हाल ही में दो राजनीतिक घटनाएं बताती है कि 22 जनवरी 2024 वाले रामराज में क्या क्या होता है। पहले चंडीगढ़ मेयर इलेक्शन जिसे चुनाव की जिम्मेदारी दी गई वह स्वामी भक्ति में ऐसा लीन हुआ कि अपने पद की मर्यादा उसने ताक पर रख दी, अब दूसरा उदाहरण झारखंड का राज्यपाल का पद संवैधानिक होता है और उन्हें शपथ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दिलाते हैं। उम्मीद की जाती है कि राज्यपाल संविधान का पालन करायेंगे। पर झारखंड में तो अभी जो कुछ हुआ उसमें राज्यपाल महोदय ने संविधान को ताक पर रख दिया था। और कुछ ही घंटे के भीतर कहीं का पुनः शपथ ग्रहण हो गया। मुख्यमंत्री नहीं बदला उनके सहयोगी बदल गए झारखंड में सहयोगी तो बदल ही नहीं रहे थे पर राज्यपाल महोदय को निर्णय लेने में स्वामी भक्ति ही आड़े आ रही होगी।
देश में सबका मालिक इन दोनों एक ही है और यह मालिक संविधान नहीं है। इसलिए हम बड़ी बेवकी से बोलते हैं राम आ गए वह जानबूझकर मर्यादा को छुपा कर आए हैं अन्यथा इस माहौल में तो गुजारा नहीं कर पाते।