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माओवाद हो या किन्नरवाद, विष्णु मंडल प्रभावहीन

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बिलासपुर, 31 जनवरी 2024।
3 दिसंबर 2023 जैसे-जैसे छत्तीसगढ़ के चुनाव परिणाम आए जिसे सत्ता मिली वह भी और जो सत्ता के बाहर हुए वे भी हाथप्रभ थे। पर था तो ईवीएम का जनादेश, भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया काफी इंतजार के बाद दिल्ली ने तय किया छत्तीसगढ़ का नया मुख्यमंत्री साथ में दो डिप्टी सीएम भी दे दिए। 10 मंत्री और नियुक्त हुए हालांकि उनकी नियुक्ति में समय लगा। कैबिनेट की पहली बैठक में एक मुख्यमंत्री और दो उपमुख्यमंत्री थे। आज छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री कैबिनेट की तीसरी बैठक ले रहे हैं, इन 30 दिन में पूरे मंत्रिमंडल के किसी भी मंत्री की ऐसी छाप कहीं नहीं दिखाई दी जिससे यह समझ आता कि छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी जीत कर आई है और प्रशासनिक हल्का में उसके मंत्री की सुनी जा रही है।
पदभार ग्रहण कर लेने मंत्रालय आवंटित हो जाने के बावजूद एक भी मंत्री प्रभावशील होता दिखाई नहीं दे रहा यदि यही हाल रहा तो लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लग जाएगी और जनता की नजर में भाजपा के मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल स्थान नहीं बन पाएगा। नई सरकार बनने के बाद नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में माओवादी फिर से अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं। कल तीसरी घटना थी। बीजापुर और सुकमा जिला के पास तेकलगुरेम में माओवादियों के साथ सुरक्षा बलों की मुठभेड़ हुई तीन जवान शहीद हुए, 14 घायल हुए, 4 माओवादियों के मारे जाने की भी खबर है। इस घटना के बाद एक प्रश्न स्वाभाविक है की छत्तीसगढ़ को रिमोट से चलने वाले कब समझेंगे कि रिमोट कुछ काम स्वयं करें अन्यथा बार-बार हमेशा केंद्र का मुंह ताकना छत्तीसगढ़ को मणिपुर और मिजोरम बना देगा।
भारतीय जनता पार्टी के दो बड़े मुद्दे घर वापसी और गौ रक्षा ऐसे संवेदनशील है जिन पर यदि सही नियंत्रण नहीं हुआ तो सामाजिक संरचना में विभेद और फूट पड़ती है। विभेद और फुट फैली हुई बेरोजगारी को विघटन के दिशा में ले जाता है इस विघटन का लाभ माओवादी उठाएंगे। पर इन बातों से ना तो छत्तीसगढ़ के मंत्रिमंडल को कोई फर्क पड़ता है नहीं केंद्र को लगता है उन्हें तो वोट की राजनीति के लिए यही उचित लगता है। भाजपा के कुछ कार्यकर्ता चर्चा में मानते हैं कि इस मंत्रिमंडल के मंत्री अभी तक प्रभावशील नहीं हो पा रहे हैं ऐसे में लोकसभा का चुनाव केवल केंद्र के भरोसे नहीं लड़ा जा सकता वे 2018 के चुनाव का उदाहरण देते हैं। कहते हैं बिजली बिल हाफ, किसान की कर्ज मुक्ति, धान खरीदी जैसी जन कल्याण वाली नीति कांग्रेस ने झटके में लागू की थी पर छत्तीसगढ़ में उसे लोकसभा में सीट नहीं मिली ऐसे में अब 2024 में यही व्यवहार पलट कर भी आ सकता है। कार्यकर्ताओं को ही जब अपना मंत्रिमंडल प्रभावशील नहीं नजर आ रहा तो आम जनता को यह कैसा लग रहा होगा।
15 दिन में चाकू बाजी की घटनाओं पर नियंत्रण का दावा करने वाले नेता अब किन्नरों की चाकू बाजी पर चुप है। जबकि कार्यकर्ता कहते हैं जो पुलिस मर्दों की चाकू बाजी नहीं रोक पाई वह सत्ता परिवर्तन के बाद इतनी निठ्ठल्ली हो गई की किन्नरों गुंडागर्दी भी नहीं रोक पा रही। आखिर पुलिस का ध्य वाक्य निजात किसको किस से दिला रहा है और निजात असल में किसको किस चाहिए। गोदी मीडिया तो आईएएस आईपीएस की जोड़ी के कसीदे कढ़ रही है। कहती है अब बिलासपुर स्मार्ट हो जाएगा जबकि वास्तविकता यह है कि भाजपा के लगभग 60 दिन के कार्यकाल में लोकतंत्र रोज भाजपा को फेल कर रहा है। यदि आज दोबारा मतदान हो जाए तो जनता को भाजपा की विदाई करते देर नहीं लगेगी।