No icon

2023 के चुनाव में कहां हैं, किस ओर है एनजीओ

अमर के हथियार ने ही हराया अमर को

24hnbc.com
बिलासपुर, 4 नवंबर 2023।
2018 और उसके पूर्व की चुनाव में शहर विधानसभा बिलासपुर में एनजीओ एक महत्वपूर्ण फैक्टर माना जाता था। भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी अमर अग्रवाल के लिए ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपति का पुत्र और उसके दर्जन भर एनजीओ चुनाव को मैनेज करते हैं। यह मैनेजमेंट श्रम विभाग की सिलाई मशीन, साइकिल, श्रमिक कार्ड, बाल श्रम निषेध परियोजना आदि द्वारा रचा जाता था। भाजपा का यह एनजीओ तिलिस्म में 2018 में पूरी तरीके से टूट गया।
तालापारा के पार्षद महेश चंद्रिका पुरे द्वारा चिन्हांकित मशीन के वितरण के बावजूद यह समीकरण फैल रहा इस बार 2023 के चुनाव में एनजीओ शहर विधानसभा बिलासपुर में क्या भूमिका निभा रहे हैं।
2018 के समय ही कांग्रेस पार्टी के रणनीतिकारों ने न्यूट्रल एनजीओ को चिन्हांकित कर आर एस एस ठप्पा लग एनजीओ से पृथक किया और उन्हें कांग्रेस के साथ आने का निमंत्रण दिया। भाजपा कार्यकाल केवल संघी मानसिकता वाले गुलाम एनजीओ संचालकों को उपयोग करता था ऐसे में न्यूट्रल एनजीओ ने काम के लिए कांग्रेस की ओर जाना बेहतर समझा। कांग्रेस अपने इस वादे पर कितना खड़ा उत्तरी इस बात का संकेत शहर विधानसभा चुनाव में भी दिखाई दे रहा है। 
केंद्र संचालित योजना पर काम पाने वाले एनजीओ भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में दिखाई नहीं देते अंदर से भाजपा के पक्ष में या कांग्रेस के खिलाफ काम कर रहे हैं हो तो अभी पता नहीं चला पर ऐसे एनजीओ जिन्हें कांग्रेस शासन में काम मिला वे खुलकर शैलेश पांडे के समर्थन में उनके साथ और बाद में भी काम करते दिखाई दे रहे हैं।