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जाने कौन है टाटिया मामा . ...

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समाचार -
बिलासपुर, नवंबर 26। 
 
भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने मालवा क्षेत्र में टाटिया मामा के नाम की चर्चा की चलिए जानते हैं कि कौन थे टाटिया भील जिसे प्यार से मामा नाम से भी बुलाया जाता था। मालवा और निमाड़ अंचल के लोकनायक टाटिया भील 1878 और 1889 के बीच ब्रिटिश भारत में एक बड़े सक्रिय विद्रोही और क्रांतिकारी थे टाटिया भील भील जनजाति के सदस्य थे। उनका जन्म 1840 मध्य प्रांत के पूर्वी निमाड़ की पंधाना तहसील के बडाडा गांव में हुआ था जो अभी खंडवा क्षेत्र में आता है। टाटिया भील गोरिल्ला युद्ध में निपुण थे, अंग्रेजों की नजर में वह डाकू और बाकी था जबकि आम जनता के लिए वह ऐसा व्यक्ति था जो सदा गरीबों की मदद करता था कुछ इतिहासकारों का मानना है कि टाटिया का प्रथम स्वाधीनता संग्राम से कोई सीधा लेना-देना नहीं था पर उन्होंने हजारों आदिवासियों के मन में विदेशी हुकूमत के खिलाफ संघर्ष की ज्योति जलाई जो उन्हें भारतीय आजादी के इतिहास में अमर करती है। रीवा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉक्टर एसएन यादव कहते हैं कि 1888- 89 में टाटिया को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया उनकी गिरफ्तारी की खबर न्यूयॉर्क टाइम्स में 10 नवंबर 1889 के अंक में छपी, इस समाचार में उन्हें भारत भारत का रॉबिनहुड बताया गया बाद में सख्त पुलिस सुरक्षा में उन्हें जबलपुर ले जाया गया और सत्र न्यायालय जबलपुर ने उन्हें 19 अक्टूबर 1889 को फांसी की सजा सुनाई तथा 4 दिसंबर 1889 को उन्हें फांसी दी गई।