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आज भी पत्रकार शिवानी के हत्यारे घूम रहे हैं आजाद

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समाचार - बिलासपुर
बिलासपुर। यूं तो भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में कई पत्रकारों को अपनी जान गवानी पड़ी है उन्हीं में से एक हैं शिवानी भटनागर जो कि अंग्रेजी के नामचीन अखबार इंडियन एक्सप्रेस में कार्यरत थी और पॉलिटिकल बीट में भी पीएमओ देखा करती थी जैसा कि तौर तरीका है पीएमओ से खबर निकालने के लिए बड़े अधिकारियों से संपर्क जरूरी हो जाता है कभी-कभी यही बड़े संपर्क मुसीबत का कारण बनते हैं कुछ ऐसा ही शिवानी के साथ भी हुआ 23 जनवरी को उन्हीं के फ्लैट पर चाकुओं से गोदकर उनकी हत्या कर दी गई दिलचस्प बात यह है कि 1999 में हुई हत्या में पहली बड़ी गिरफ्तारी 2002 में हुई। बताया गया कि हरियाणा कैडर के आईपीएस अधिकारी आरके शर्मा हत्या का मास्टरमाइंड है उसी के साथ उसके मातहत काम कर चुके हरियाणा पुलिस के अधिकारी के 1 पुत्र श्री भगवान को भी हिरासत में लिया गया इसी बीच आरके शर्मा की पत्नी ने 8 अगस्त 2002 को यह आरोप लगाया कि एक राजनीतिक रूप से बड़े प्रभावशाली व्यक्ति की संलिप्तता इस हत्याकांड में है और मामले की सीबीआई जांच कराई जाए। 15 अगस्त 2002 को मधु शर्मा ने खुले रुप में शिवानी हत्याकांड के लिए भाजपा नेता प्रमोद महाजन का नाम लिया आरोपों को नकारते हुए प्रमोद महाजन ने कहा कि शिवानी से उनके पेशेवराना रिश्ते थे तत्कालीन सरकार ने सीबीआई जांच की मांग खारिज की 16 अगस्त को ही दिल्ली पुलिस ने प्रमोद महाजन को क्लीन चिट दे दिया 17 अगस्त को सह अभियुक्त सत्य प्रकाश की गिरफ्तारी की गई 1 दिन बाद वेद प्रकाश शर्मा को पकड़ा गया इधर सरकार ने आरके शर्मा पर दबाव बनाने के लिए उसे पुलिस सेवा से निलंबित कर दिया अग्रिम जमानत याचिका खारिज हो चुकी थी लिहाजा आईपीएस आरके शर्मा ने अंबाला कोर्ट में सरेंडर कर दिया पुलिस ने दावा किया कि आरके शर्मा ने हत्या का आरोप स्वीकार किया है और गोपनीय सरकारी कागजों के आधार पर ब्लैकमेलिंग से परेशान होकर यह हत्या करा दी गई फास्टट्रैक कोर्ट में चालान प्रस्तुत किया गया 18 मार्च 2008 को अदालत ने शिवानी हत्याकांड में पुलिस महानिरीक्षक जेल आरके शर्मा और उसके तीन सहयोगियों को हत्या के अपराध के लिए दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा दी किंतु 2011 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने आरके शर्मा और अन्य को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया आज भी यह सवाल ज्यों का त्यों है की शिवानी हत्याकांड आखिर साजिश किसने रची और हत्यारे अभी भी समाज में खुले तौर पर कहां घूम रहे हैं इस तरह जांच एजेंसियां शिवानी भटनागर के कातिलों को सजा दिलाने में नाकाम रही।