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कचरा प्रबंधन में बचपन हो रहा बर्बाद

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समाचार - बिलासपुर
बिलासपुर। गांधी जी के चश्मे को बैनर पोस्टर पर लगाकर सुबह से स्वच्छ भारत छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया जैसे स्लोगनों के साथ पूरे शहर में नगर पालिक निगम बिलासपुर करोड़ों रुपए देकर एक निजी कंपनी से डोर टू डोर कचरा कलेक्शन करवाती है । यह गाड़ियां केवल घरों का नहीं रेस्टोरेंट, नर्सिंग होम का अपशिष्ट भी एकत्र करती है और इसे छठ घाट के आगे डालती है कहने के लिए यहां कचरे का निष्पादन किया जाता है। ऐसा दिखाई नहीं देता अष्टमी और नवमी के दिन जब पूरा शहर कन्याओं को देवी तुल्य मानकर भोजन करा रहा था और पुण्य कमा रहा था तब हमने इस स्थान पर समय बिताना उचित समझा हमने देखा कि जैसे ही कचरा लेकर गाड़ी आती है सभी मैदान में बैठे बच्चे जिनमें छोटी छोटी बच्चियां भी शामिल हैं कचरे की गाड़ी के साथ दौड़ लगाते हैं आगे एक स्थान पर गाड़ी खड़ी हो जाती है ड्राइवर इस बात का ख्याल रखते हैं कि सड़क से गाड़ी दिखाई ना दे अब सब बच्चे गाड़ी पर चढ़ जाते हैं और कचरे को बाहर निकाला जाता है छत्तीसगढ़ में सत्यार्थी फाऊंडेशन तो है नहीं और सरकार के तमाम विभाग इतने उत्तरदाई भी नहीं है कि वह इस तरीके से कचरे में भविष्य ढूंढने वाले बच्चों पर ध्यान दें बिना किसी सुरक्षा मापदंड के कचरे को छाटा बिना जाता है और कचरे में फिर भी बिक्री योग्य वस्तुओं को यह बच्चे ले जाते हैं। सामान बेचकर पैसा जो मिलना है तो कचरा गाड़ी चलाने वाले ड्राइवर का कमीशन दिए बिना यह काम नहीं हो सकता बच्चे भी कमीशन देना सीख गए हैं इस तरह पवित्र अरपा के पावन घाट और उदासीन आश्रम तपोभूमि के पास रोज इसी तरह छत्तीसगढ़ का बचपन कचरा बीनने में निपट रहा है। 
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