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जम्मू कश्मीर के बाद सबसे अधिक सुरक्षा बल हैं छत्तीसगढ़ में

तहसील से जिला बनने में मुंगेली को लगा 142 साल, नक्सल प्रभावित घोषित होने में लगे 8 साल

24hnbc.com
समाचार -
बिलासपुर । केंद्र सरकार केंद्र व राज्य के सूचना तंत्रों से मिली रिपोर्ट के आधार पर समय-समय पर नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या जारी करती है इस बार जुलाई 2021 में केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ से नक्सल प्रभावित जिलों की सूची में से बालोद जिला हट गया है और मुंगेली को एसआरई नक्सल प्रभावित सिक्योरिटी रिलेटेड एक्सपेंडिचर में शामिल कर लिया गया है। मुंगेली जिले की सरहद कवर्धा और डिंडोरी से मिलती है जो उसे संवेदनशील बनाती है मुंगेली को तहसील से जिला बनने में 142 साल लगा किंतु जिला बनने के बाद नक्सल प्रभावित जिले की सूची में आने मे महज 8 या 9 साल लगा। मुंगेली को तहसील का दर्जा 1860 में प्राप्त हुआ था। 142 वर्ष बाद उसे जिले का तमगा प्राप्त हुआ जिले का कुल क्षेत्रफल 163942 वर्ग किलोमीटर है। जिले में 3 विकासखंड है विशेषज्ञों का ऐसा कहना है कि अभी प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर भले ही पूरे जिले को नक्सल प्रभावित बताया जा रहा है किंतु बाद में सिर्फ लोरमी ब्लाक नक्सल प्रभावित हो सकता है । 
गौरतलब है कि जिले में 3 ब्लॉक ही हैं अन्य दो ब्लॉक का नाम पथरिया व मुंगेली है छत्तीसगढ़ में 4 जुलाई 2018 के दिन विधानसभा में उस वक्त के गृहमंत्री रामसेवक पैकरा ने कहा था कि वर्ष 2020 तक प्रदेश नक्सल प्रभावित क्षेत्र से मुक्त हो जाएगा किंतु उनकी यह घोषणा कभी भी अमलीजामा नहीं पहन सकती। उस वक्त छत्तीसगढ़ सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, बस्तर, कोंडागांव, कांकेर, नारायणपुर, राजनांदगांव, धमतरी, महासमुंद, गरियाबंद, बलरामपुर, कबीरधाम नक्सल प्रभावित जिले थे। 2018 में 3 जिलों को नक्सल प्रभावित सूची से हटाया गया था उसमें सरगुजा, जशपुर और कोरिया थे। 20 वर्षों में छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद 6 जिलों से बढ़कर 18 जिलों में हो गया है और देश में जम्मू-कश्मीर के बाद सर्वाधिक सीआरपीएफ, बीएसएफ, एसएसबी, आइटीबीपी की 100 बटालियन राज्य में तैनात हैं। एक समय नागा और मिजो बटालियन भी राज्य में नक्सल गतिविधियों से निपटने आई थी। यह तथ्य काफी प्रभावित करता है कि देश की सर्वाधिक सुरक्षा बल जम्मू कश्मीर के बाद छत्तीसगढ़ में ही तैनात है। बस्तर के 7 जिले सर्वाधिक नक्सल प्रभावित हैं जिन्हें कभी-कभी रेड कैरीडोर कहा जाता है । यह बात आश्चर्यजनक लगती है कि रायगढ़ जैसा औद्योगिक जिला नक्सल प्रभावित सूची में शामिल है कई बार ऐसा कहा जाता है कि नक्सल प्रभावित जिले नौकरशाहों और राजनीतिज्ञ के लिए कमीशन खाने का बड़ा जरिया है क्योंकि जैसे ही किसी जिले को नक्सल प्रभावित सूची में शामिल किया जाता है वहां पर थानों के अपग्रेडेशन के लिए बड़ा फंड मुहैया होता है वैसे राज्य में रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग जिलों में शहरी नक्सली संबंधों पर काफी गिरफ्तारियां हुई है ।