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उद्दंड अधिकारी की नादिरशाही

जेल में निरुद्ध महिला बंदियों के बच्चों का बिल भी हर माह नहीं निकलता महिला एवं बाल विकास विभाग से

24 HNBC  (बिलासपुर  ) 
 
​​​​​​बिलासपुर। महिला एवं बाल विकास विभाग के बिलासपुर प्रमुख का व्यवहार अपने अधिकारी कर्मचारियों के साथ खराब है, यह शिकायत आम है। किंतु उनके क्रियाकलाप विभाग में कार्यरत एनजीओ के साथ भी ठीक नहीं है इसका एक उदाहरण बिलासपुर केंद्रीय जेल में चल रही बच्चों की योजना से लगता है।
जेल के महिला कैदियों के बच्चे के लिए उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर एक योजना प्रारंभ हुई केंद्रीय सरकार में उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर सभी राज्य सरकारों को इसे लागू करने कहा उसी योजना के अनुसार बिलासपुर केंद्रीय जेल में भी महिला बंदियों के बच्चों के लिए एक योजना संचालित है। केंद्र सरकार इस योजना के तहत प्रति शिशु 2 हजार अनुदान देती है। बिलासपुर में वर्तमान में 13 बच्चे इस योजना के लाभान्वित हैं महिला एवं बाल विकास विभाग ने प्रतिप्रतिम माह 2 हजार का बिल एनजीओ प्रस्तुत करता है । प्राप्त जानकारी के आधार पर पिछले 8 माह से एक बार भी अनुदान नहीं दिया गया आश्चर्य की बात है कि विभागीय प्रमुख ने कभी एनजीओ के द्वारा प्रस्तुत देयक का आवक भी नहीं दिया इन 13 बच्चों का संरक्षण अधिकारी न्यायिक सेवा से तय किया जाता है इसका सीधा अर्थ है कि जिला सत्र न्यायालय ने किसी ना किसी जज को इन बच्चों का संरक्षण अधिकारी बना कर रखा होगा। एक तरह से यह बच्चे उनके संरक्षण में रहते हैं और योजना उच्च न्यायालय के निर्देश पर चल रही है ऐसे 13 बच्चे जो सीधे न्यायिक संरक्षण में पल रहे हैं उनकी योजना में हर माह भुगतान ना होना महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी की घोर लापरवाही प्रदर्शित करता है । राज्य के बाल संरक्षण आयोग को ऐसे मामलों में स्वसन संज्ञान लेकर कार्यवाही करना चाहिए। ​​​​​​