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सरस्वती शिशु मंदिर में मनाया गया गुरु पूर्णिमा का उत्सव
- By 24hnbc --
- Friday, 19 Jul, 2024
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बलौदाबाजार, 20 जुलाई 2024। समाचार संकलन जिला प्रतिनिधि
गुरु पूर्णिमा गुरु और शिष्य के पवित्र संबंध का प्रतीक है । इस दिन शिष्य अपने गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं । ज्ञान और मार्गदर्शन के लिए उनका सम्मान करते हैं। विद्यालय के विद्यार्थियों ने समस्त आचार्य दीदियों का सम्मान तिलक वंदन व श्रीफल भेंट कर किया। मुख्य अतिथि के आसन्दी से इस विद्यालय के उपाध्यक्ष व जिला प्रतिनिधि खोड़स राम कश्यप ने गुरु के महत्व को विस्तार पूर्वक बताया।इस अवसर पर विद्यालय संचालन समिति के अध्यक्ष विजय केसरवानी, सचिव राज नारायण केसरवानी, उपाध्यक्ष व जिला प्रतिनिधि खोड़स राम कश्यप, सहसचिव श्रीमती नीलम सोनी, कोषाध्यक्ष लखेपाल जायसवाल एवं समस्त पदाधिकारी व सदस्यों ने समस्त आचार्य /आचायों को इस अवसर अपने शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम का संचालन कन्या भारती पदाधिकारी बहिन नंदिनी निषाद ने किया । कार्यक्रम में वरिष्ठ आचार्य लखन वर्मा व श्रीमती राजेश्वरी सोनी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे।आभार ज्ञापन विद्यालय के प्राचार्य त्रिलोचन साहू ने की ।
गुरु की चरण की वंदना करनी चाहिए--विद्यार्थी
गुरु पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा और व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।गुरु पूर्णिमा का यह पर्व महर्षि वेद व्यास को समर्पित है क्योंकि इस दिन ही महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था।इस दिन शिष्य अपने गुरुओं की पूजा करते हैं. आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेद व्यास का करीब 3000 वर्ष पूर्व जन्म हुआ था।
गुरु पूर्णिमा पर महाभारत के रचयिता वेद व्यास जी का जन्म हुआ था। इस कारण से गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन दान-पुण्य और गुरुओं को गुरु दक्षिणा देने का भी बहुत महत्व है।
गुरु पूर्णिमा पर गुरुजनों को भेजें ये खास संदेश-
गुरु बिन ज्ञान न उपजै, गुरु बिन मिलै न मोष। गुरु बिन लखै न सत्य को, गुरु बिन मैटैं न दोष। गुरु पूर्णिमा 2024 की शुभकामनाएं। चुका न पाऊं ऋण मैं आपका, अगर जीवन भी अपना दे दूं।
गुरु वह है जो ज्ञान दे। संस्कृत भाषा के इस शब्द का अर्थ शिक्षक और उस्ताद से लगाया जाता है। इस आधार पर व्यक्ति का पहला गुरु माता-पिता को माना जाता है। दूसरा गुरु शिक्षक होता है जो अक्षर ज्ञान करवाता है।
यह पर्व गुरु के प्रति सम्मान और आभार प्रकट करने के लिए हर साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।' गुरु' शब्द का अर्थ होता है - अज्ञान के अंधकार को दूर करने वाला। गुरु अपने ज्ञान से शिष्य को सही मार्ग पर ले जाते हैं और उनकी उन्नति में सहायक बनते हैं।